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हंसदेवाचार्य का राम मंदिर निर्माण पर बयान, सुप्रीम कोर्ट है दबाव में ,6 दिसम्बर तक मंदिर निर्माण न होने पर शुरू होगी कारसेवा

लखनऊ (सवांददाता) अयोध्या में बाबरी मस्जिद के टूटने के बाद से भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार आने के बाद भी राम के जन्म स्थल पर मंदिर का निर्माण न होने के कारण अब साधू-संत भाजपा के विरुद्ध खुलकर सामने आ गए गए है | आज दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद की उच्‍च स्‍तरीय बैठक में अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने को लेकर प्रस्ताव पास किया गया। संतों की उच्चाधिकार समिति ने साफ किया है कि केंद्र सरकार को कानून बनाकर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करना चाहिए। संतों ने कहा कि 6 दिसम्बर तक कानून नही बना तो राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा होगी।

संतों की इस बैठक में तय हुआ है कि विश्व हिंदू परिषद राज्यपालों से मिलकर राम मंदिर निर्माण को लेकर ज्ञापन सौंपेगी। यही नहीं, संतों का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेगा। विहिप ने कहा है कि अनिश्चित काल के लिए कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं किया जा सकता है। विहिप ने ऐसा करके सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया है। वैसे इस मामले में अगर देखा जाये तो विहिप का कहना गलत नहीं है, क्योकि भाजपा ”राम लला हम आएंगे मंदिर वही बनाएंगे” के नारे के बाद ही सरकार में आई थी, हालाँकि उस समय भाजपा का ये तर्क था कि जब वो पूर्ण बहुमत में आएगी तब राम मंदिर निर्माण पर क़ानून लाएगी, लेकिन इस समय लगभग साढ़े चार वर्ष की भाजपा सरकार प्रचंड बहुमत में है लेकिन अपने ही मुद्दे से भटकी हुई है |

इस मामले में हंसदेवाचार्य ने कहा, कोई भी पूजास्थल कहीं भी बनाया जा सकता है लेकिन श्रीराम जन्मभूमि का स्थान नहीं बदल सकता। सुप्रीम कोर्ट दबाव में आ गयी है और हमें सुप्रीम कोर्ट से निराशा है। सरकार संसद में कानून बनाकर रामन्दिर बनाने का काम शुरू कराये। इसी सरकार के समय गौ रक्षा का कानून बने, धारा 370 हटे, समान नागरिक संहिता हटे लेकिन अभी श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण हमारी प्राथमिकता है, अब कोई विलम्ब स्वीकार नहीं किया जायेगा।

हंसदेवाचार्य ने आगे बात करते हुए कहा कि चर्चों की चिट्ठियों और मस्जिदों के फतवों के खिलाफ संतों का धर्मादेश जारी होगा 3 और 4 नवंबर को दिल्ली में देश भर के 3 हजार संत तालकटोरा में जुटेंगे।
युगपुरुष परमानन्द महाराज ने कहा कि हिंदू के जागने से हिंदू विरोधी भी हिंदू-हिंदू चिल्लाने लगे हैं। सरकार संसद में प्रस्ताव लाये। जिस से साफ हो कि कौन मंदिर समर्थक है और कौन मंदिर विरोधी। ये दुविधा मिटे तो हम इस उम्र में भी जनमानस के बीच जाने को तैयार हैं। अभी तो हमीं दुविधा में हैं।

उन्होंने मोदी सरकार को रामभक्त करार देते हुए कहा कि उनके इरादे को लेकर कोई शक नहीं है। राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर तपस्वी छावनी मंदिर के महंत परमहंस दास सोमवार से भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं।
बताते चलें कि इस विवाद में दीवानी मामला निपटाना रह गया है, नवगठित तीन जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर से शुरू करेगी।

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