HomePOLITICSराजस्थान की झालरापाटन विधानसभा सीट वसुंधरा राजे के लिए खतरे की घंटी

राजस्थान की झालरापाटन विधानसभा सीट वसुंधरा राजे के लिए खतरे की घंटी

कांग्रेस ने खेला जसवंत सिंह के पुत्र को मैदान में उतार कर बड़ा गेम

लखनऊ (सवांददाता) पिछले माह ही कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने वाले भाजपा के कद्दावर नेता जसवंत के पुत्र मानवेन्द्र सिंह को कांग्रेस ने इस बार राजस्थान की झालरापाटन विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ उन्हें खड़ा करके मुकाबले को रोचक बना दिया है। हालांकि वसुंधरा राजे 2003 से झालरापाटन सीट जीतती आ रही हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी ने मानवेंद्र सिंह को यहां से टिकट देकर चुनावी समीकरण बदलने का भरसक प्रयास किया है। राजस्थान के राजपूत बाहुल्य इलाकों में आज भी पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह को इज़्ज़त की नजर से देखा जाता है। इसका लाभ कांग्रेस उठा सकती है |

बताते चलें कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शनिवार को झालरापाटन विधानसभा सीट से चौथी बार नामांकन दाखिल किया है | उन्होंने 2003 में जब यहां से पहली बार चुनाव लड़ा था तब कांग्रेस पार्टी ने राजे के खिलाफ रमा पायलट को मैदान में उतारा था| इस चुनाव में 72760 मत वसुंधरा राजे को मिले थे। जब्कि रमा पायलट को मात्र 45385 मत प्राप्त हुए थे | इस चुनाव को वसुंधरा राजे ने 27375 मतों से जीता था | इसके बाद 2008 में भी वसुंधरा राजे ने इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडा था। जिसमे उन्हें 81593 वोट मिले थे , उनके खिलाफ खड़े होने वाले कांग्रेसी उम्मीदवार मोहन लाल को सिर्फ 49012 मत मिले थे। इसमें भी वसुंधरा राजे 32581 मतों से विजय हुई थी |

इसी तरह अबतक वसुंधरा के विरुद्ध जो भी आया उसे हार का मुँह देखना पड़ा | यदि पिछले तीन चुनाव को देखें तो राजे के वोट लगातार बढते रहे हैं। विधायक मानवेन्द्र सिंह पूर्व में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रह चुके हैं।2003 के लोकसभा चुनाव में मानवेन्द्र सिंह ने सबसे ज्यादा मत पाकर रिकॉर्ड जीत हासिल की थी।

राजपूत समाज के समाजिक कार्यकर्ता विक्रम सिंह का मानना है कि भाजपा ने गत लोकसभा चुनाव में जसवंत सिंह का न केवल टिकट काटा, बल्कि उनके स्थान पर कांग्रेस में लबे समय तक सांसद रहे कर्नल सोना राम को प्रत्याशी बना दिया था। अब उसी तरह से वसुंधरा के सामने कांग्रेस ने पूर्व भाजपाई को मैदान जीतने के लिए भेजा है।

बताते चलें कि मानवेन्द्र की अपने पिता के कारण जो साख है उसका सामना करना इस बार वसुंधरा राजे के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है | क्योकि उनका अपना वोट बैंक भी उनको काफी समर्थन देगा | दूसरी ओर दिल्ली के अस्पताल में भर्ती जसवंत सिंह का हालचाल जानने के लिए लाल कृष्ण आडवाणी के अलावा अन्य कोई नेता नहीं पहुँचा था। कांग्रेस पार्टी ने इन सब वजहों को एक साथ जोड़कर यह साबित करने की कोशिश की है कि राजस्थान में पारम्परिक राजपूत मतदाता भाजपा से नाराज हैं।

सीमावर्ती क्षेत्र के कई जिलों में सिंधी मुसलमानों की बड़ी संख्या हैं। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे अमीन खान ने कुछ समय पहले अपने एक बयान में कहा था कि हमारे इलाक़े में राजपूतों और मुसलमानों में अच्छे रिश्ते रहे हैं। इससे कांग्रेस को लाभ होगा। उनके मुताबिक, मरुस्थल के इस भूभाग में अक्सर पूर्व जागीरदार और राजपूत भाजपा की बड़ी ताकत रहे हैं।अब मानवेन्द्र के कांग्रेस में जाने से भाजपा कमजोर हो सकती है | ये तय है कि मुस्लिम और राजपूत, कांग्रेस के पक्ष में ही खड़े हुए नज़र आएंगे| मानवेंद्र सिंह ने जब कांग्रेस का दामन थामा तो उससे कुछ दिन पहले खासतौर से राजपूत समुदाय में यह मैसेज भी चलाया गया कि वाजपेयी सरकार के दौरान जब विमान अपहरण के बाद किसी मंत्री को कंधार भेजने का मौका आया तो जसवंत सिंह को रवाना कर दिया गया। उस वक्त जसवंत सिंह ने पार्टी के लिए सारी तोहमत अपने नाम पर ले ली थी, मगर उसी भाजपा ने 2014 में उनका टिकट काट दिया ।

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