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कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए मस्जिदों में नहीं अदा होगी पंज वक्ता नमाज़ें और तरावीह

लखनऊ ,संवाददाता | कोरोना वायरस ने वैसे तो सबसे पहले अपनी जानलेवा दस्तक चीन में दी थी लेकिन वहां कि दस्तक की आवाज़ भारत तक इतनी जल्द पहुंचेगी ये शायद भारत सरकार नहीं समझ सकी |इसी कारण इस खतरनाक वायरस ने संपूर्ण भारत में अपनी दहशत के झंडे बलन्द कर दिए | तेज़ी से फैले इस खतरनाक संक्रमण से मुक़ाबला करने के लिए सरकार के पास कोई भी साधन नहीं था | ऐसे में सरकार के पास लॉक डाउन किये जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था,और आखिरकार सरकार ने वही किया | इसी लॉक डाउन के कारण जहाँ इस वायरस के प्रकोप से लोग सुरक्षित होने लगे वहीँ देश में बढ़ते हुए प्रदुषण पर भी ज़बरदस्त विराम लगा | लॉक डाउन से सोशल डिस्टेंसिंग भी रहने लगी और अधिकतर लोग इस प्रकोप की ज़द से दूर होने लगे लेकिन 25 अप्रैल से मुसलमानों का पवितयर माह रमजान शुरू होने जा रहा है जिसमे मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग तरावीह बा जमाअत पढता है ,ये अलग बात है कि पुलिस प्रशासन द्वारा की गईं बैठकों में मस्जिदों के इमाम ,धर्मगुरुओं का बुलाकर कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप का रोकने की गरज़ से कहा गया है कि इस बार तरावीह और रोज़ाना की नमाज़ें भी घर पर पढ़ी जाएं | प्रशसन की इस अपील पर सब धर्मगुरुओं ने प्रशासन का यक़ीन दिला दिया है कि तरावीह और नमाज़ें सामूहिक रूप से न पढ़ते हुए घर पर ही पढ़ी जाएंगी | हालाँकि तरावीह ऑनलाइन भी पढ़ने की व्ययवस्था की गई है |
धर्मगुरु खालिद रशीद फरंगी महली ने भी आज शाम 7 बजे ऐशबाग ईदगाह में पुलिस प्रशासन के साथ बैठक कर मुसलमानों से अपील की है कि वो इस बार तरावीह और रोज़ कि वाजिब नमाज़ें भी घरों पर पढ़ें | हालाँकि मस्जिदों में संयुक्त रूप से नमाज़ न पढ़ने के प्रशसन के आदेश के बाद अब मुतवल्लियों / व्ययवस्थापकों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा है | क्योंकि जो लोग मस्जिद में नमाज़ पढ़ते हैं उनका मुतवल्लियों से कहना है कि मस्जिदें खोली जाएं उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर नमाज़ पढ़ना है ,जब मुतवल्ली मना करता है तो उनका तर्क होता है कि प्रशसन ने संयुक्त रूप से नमाज़ पढ़ने को मना किया है अलग -अलग नहीं | एक ऐसा ही मामला लखनऊ के रकाबगंज में स्थित मस्जिद मुर्तज़वी का प्रकाश में आया है ,यहाँ के मुतवल्ली सय्यद ज़की हुसैन का कहना है कि उनके पास लगभग 1 सप्ताह पूर्व चौकी इंचार्ज यहियागंज का फ़ोन आया और उन्होंने पूछा क्या आप मुर्तज़वी मस्जिद के मुतवल्ली हैं ,उन्होंने कहा जी मैं ही मुतवल्ली हूँ | इसके बाद उन्होने कहा कि आपकी मस्जिद में नमाज़ तो नहीं हो रही है ,उन्होंने कहा नहीं हो रही है ये सुनकर चौकी इंचार्ज ने कोरोना वायरस के कारण मस्जिद को बंद रखने की सलाह दी ,मुतवल्ली ने मस्जिद के मुख्य गेट के दरवाज़े पर ताला डाल दिया जबकि दूसरा गेट मस्जिद की साफ़ सफाई के लिए खुला रहा लेकिन मुतवल्ली को पता चला की कुछ लोग चोरी छुपे लॉक डाउन की धज्जियाँ उड़ाते हुए रोज़ नमाज़ पढ़ रहे हैं | इस सुचना के बाद मुतवल्ली ने दूसरे दरवाज़े पर भी ताला डलवा दिया | ताला डले देख कुछ नमाज़ियों ने मुतवल्ली को फ़ोन कर के कहा कि हम लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर के नमाज़ पढ़ रहे हैं | जवाब में मुतवल्ली ने कहा कि प्रशासन कि तरफ से मस्जिद में नमाज़ पढ़ने को मना किया गया है तो उन लोगों ने फिर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ नमाज़ पढ़े जाने का उल्लेख किया मगर मुतवल्ली ने आज्ञा नहीं दी | इसके अलावा भी कई मस्जिदों ,इमामबाड़ों में इस तरह की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं |
प्रशसन को चाहिए इस प्रकरण पर अपनी स्थित साफ़ करे, कि क्या बिना जमाअत के सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर मस्जिदों में नमाज़ अदा कि जा सकती है ? आज जो लोग मस्जिदों में अज़ान दे रहे हैं ,उनके द्वारा अज़ान देने के बाद अगर जमात से नमाज़ शुरू होने लगी तो उसका कौन ज़िम्मेदार होगा ? जबकि मुतवल्ली द्वारा आज्ञा नहीं दी गई हो |

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