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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हैदराबाद में उठने वाले जुलुस पर भी लगा ग्रहण

SC ने मुहर्रम पर कहा कि एक जगह की बात होती तो हम खतरे का आकलन कर आदेश दे सकते थे

लखनऊ 27 अगस्त । शिया धर्मगुरु सैय्यद कल्बे जव्वाद नक़वी ने मुहर्रम के दरमियान जुलुस निकाले जाने के बावत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उम्मीद लगाईं थी कि मुहर्रम के जुलूसों की इजाज़त सुप्रीम कोर्ट से मिल जाएगी ,लेकिन उन्होंने शायद दूसरे पहलु के बारे में नहीं सोचा था कि अगर सर्वोच न्यायलय ने जुलूसों के विरुद्ध फैसला दिया तो आज जो शियों के छोटे छोटे प्रोग्राम मोहल्ले आदि में संपन्न हो रहे हैं उनपर भी कड़ाई से प्रतिबन्ध लग जाएगा | आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये बात तय हो गई कि अब ताज़ियों को दफन किया जाना भी मुश्किल हो गया | भारत में अब सुप्रीम कोर्ट के ऊपर कोई कोर्ट भी नहीं के आप दूसरी कोर्ट में जा कर सुप्रीम के आदेश को चैलेंज करें |

हैदराबाद में हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद अब नहीं निकल सकेगा जुलुस

हैदराबाद में धर्मगुरु वहीदउद्दीन ने हाईकोर्ट में रिट दायर कर 20 लोगों के साथ जुलुस निकाले जाने की इजाज़त लेकर बड़ा काम किया था लेकिन अब सर्वोच्च न्यायलय के फैसले के आगे उच्च न्यायलय का आदेश बौना साबित हो जाएगा और जुलुस उठाए जाने की इजाज़त मिलने के बाद भी जुलुस नहीं उठ सकेगा | मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी ने सुप्रीम कोर्ट जाकर शायद बड़ी ग़लती की है |
सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति मांग रही याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया है।

अभी भी मुहर्रम के प्रोग्राम स्थानीय प्रशासन के हाथ

कोर्ट ने कहा कि हर जगह स्थानीय प्रशासन स्थिति के हिसाब से निर्णय लेता है। पूरे देश पर लागू होने वाला कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर जुलूस निकालने की इजाजत देंगे तो अराजकता फैलेगी।                                    शिया धर्मगुरू मौलान कल्बे जव्वाब ने पूरे देश में मुहर्रम जुलूस निकालने की मांग वाली याचिका दायर की थी। मौलाना  कल्बे जव्वाब की तरफ से पेश वकील ने कहा कि पूरा एहतियात बरतते हुए जुलूस निकालने की अनुमति दी जानी चाहिए। जिस तरह पूरी में रथ यात्रा की अनुमति दी गई। पर्यूषण पर्व के दौरान जैन समुदाय को मंदिर में जाने की अनुमति दी गई। वैसा ही इस मामले में भी किया जाना चाहिए। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर हम जुलूस निकालने की इजाजत देंगे तो इससे आराजकता फैलेगी और फिर एक समुदाय विशेष को कोरोना फैलाने के नाम पर निशाना बनाया जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट नहीं चाहेगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह ऐसा कोई आदेश नहीं देगा जिससे लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की पीठ ने कहा कि मुहर्रम के जुलूस  लिए कोई स्पष्ट स्थान नहीं होता है, जहां प्रतिबंध या सावधानी बरती जा सके।

याचिकाकर्ता के वकील ने जगन्नाथपुरी यात्रा की दलील दी तो अदालत ने कहा कि आप पूरे देश के लिए इजाजत मांग रहे हैं। जगन्नाथपुरी यात्रा एक खास जगह पर होती है, जहां रथ एक जगह से दूसरी जगह जाता है। अगर किसी एक जगह की बात होती तो हम खतरे का आकलन कर आदेश दे सकते थे।

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