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सरदार वल्ल्भभाई पटेल की मूर्ति के सम्बन्ध में, भाजपा और आरएसएस पर मायावती का ज़बानी हमला

लखनऊ (सवांददाता)। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आज जहा सरदार वल्ल्भभाई पटेल को श्रद्धांजलि दी , वही उन्होंने आरएसएस और भाजपा पर जमकर ज़बानी हमले किये | उन्होंने कहा कि बसपा शासन काल में दलित व पिछड़े वर्ग के महापुरुषों की स्मृति में बनाए गए भव्य स्थलों, पार्कों व स्मारकों को फिजूलखर्ची बताने वाली भाजपा और आरएसएस के लोगों को बहुजन समाज से माफी मांगनी चाहिए। सरदार वल्ल्भभाई पटेल की करीब तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से बनी प्रतिमा के लोकार्पण पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने स्टैचू ऑफ यूनिटी नाम हिंदी के बजाए अंग्रेजी में रखने पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त की। मायावती की प्रतिक्रिया भी किसी हद तक बिल्कुल सत्य प्रतीत होती है, क्योकि जो वल्ल्भभाई पटेल की मूर्ति बनवाई गई है उसकी लागत करीब तीन हजार करोड़ रुपये आई है | जहां तक मायावती के कार्यकाल की बात की जाये तो उन्होंने भी की महापुरुषों की करोड़ों रूपए की मुर्तिया स्थापित की थी | उस समय भाजपा द्धारा मायावती सरकार को पत्थरों की सरकार कहा जाता था, ज़ाहिर है कि आज भाजपा सरकार में जब किसी महापुरुष की करोड़ों की मूर्ति बनी है, तो मायावती का इस प्रकरण पर ज़बानी हमला ज़ायज है |

आज उनके द्धारा जारी बयान में उन्होंने कहा कि सरदार पटेल बोल-चाल, रहन-सहन और खान-पान में भारतीय संस्कृति की अनूठी मिसाल थे लेकिन, उनकी भव्य प्रतिमा का नामकरण हिंदी और स्टैचू ऑफ यूनिटी जैसा अंग्रेजी नाम रखने में कितनी राजनीति है, यह जनता अच्छी तरह से समझ रही है। पटेल विशुद्ध रूप से भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के पोषक थे लेकिन, उनकी प्रतिमा पर विदेशी निर्माण की छाप उनके समर्थकों को हमेशा सताती रहेगी।

मायावती ने कहा कि आंबेडकर की तरह पटेल राष्ट्रीय व्यक्ति थे लेकिन, सरकार ने उन्हें क्षेत्रवाद के दायरे में बांध दिया। उन्होंने कहा कि जनता यह भी नहीं समझ पा रही है कि भाजपा को पटेल के नाम पर राजनीति करने के बजाए उनसे सही मायने में लगाव था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में अपने लम्बे शासनकाल के दौरान भव्य प्रतिमा क्यों नहीं बनवाई।

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