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राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या राज्यपाल इनमे से क्या हैं ? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत

क्या लोकसभा चुनाव से पूर्व राममंदिर निर्माण पर भाजपा ला सकती हैं विधेयक ? जानिए कारण

(ज़की भारतीय)

लखनऊ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के द्धारा राममंदिर निर्माण मुद्दे पर जहाँ भाजपा को फटकार लगाई है, वही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 24 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज का फीडबैक भी लेगा, जिसका एलान कल ही आरएसएस द्धारा किया गया है | प्रश्न ये है कि आरएसएस प्रदेश सरकार के कामकाज का फीडबैक किस आधार पर लेने जा रहा है | अगर आरएसएस प्रधानमंत्री होता, राष्ट्रपति होता या फिर प्रदेश का राज्यपाल होता तो उसको प्रदेश सरकार के कामकाज का फीडबैक लेने का सवैधानिक अधिकार था , लेकिन आरएसएस आखिर क्या है ? प्रदेश सरकार को वो किस आधार पर आदेश दे रहा है और मंदिर निर्माण मुद्दे पर मोदी सरकार को फटकार रहा है | यदि ये माना जाये कि भाजपा आरएसएस का गोद लिया हुआ बच्चा है तो आखिर उन भाजपा विरोधी दलों को क्यों जवाब दिया जा रहा है, जो ये कहते हुए नज़र आते है कि भाजपा एक खिलौना हैं जिसका रिमोट आरएसएस के पास है | ये बात सिर्फ बसपा सुप्रीमों व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ही नहीं बल्कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कई बार कह चुके हैं | बताते चलें कि 24 अक्टूबर को होने वाली संघ की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल सहित कई अन्य प्रमुख लोग भी इस बैठक में शामिल होंगे।
हैरतअंगेज़ बात ये हैं कि जिस भाजपा के फीडबैक पर भाजपा के शीर्ष नेता चर्चा करते, उस फीडबैक के लिए संघ बैठक कर रहा हैं ? यही नहीं मंत्रिमंडल और संगठन में कई चेहरों के भविष्य पर भी संघ मुहर लगा सकता हैं |

संघ की होने वाली इस बैठक में वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने की कोई सूचना नहीं हैं लेकिन उनके आने से भी इंकार नहीं किया जा सकता हैं | क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उप मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल भी इस बैठक में शामिल होंगे | गौरतलब हैं कि संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कल ही राम मंदिर निर्माण के सम्बन्ध में भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि राममंदिर पर भाजपा विधेयक क्यों नहीं ला रही हैं | उनके इस बयान के मद्देनजर इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण समझा जा रहा हैं । हालाँकि मोहन भागवत ने जहाँ मुसलमानों के पक्ष में ये बोलकर ”मुसलमानों के बिना हिंदुत्व अधूरा हैं” मुसलमानों को हैरत में डाल दिया था तो वही आजकल वो दलितों को भी रिझाने का प्रयास कर रहे हैं | अगर भाजपा के लिए सारी मेहनत संघ को ही करना होती हैं तो आखिर संघ ही चुनावी मैदान में क्यों नहीं आ जाता हैं ? मोहन भागवत के बयानात बता रहे हैं कि आगामी 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा कमज़ोर नज़र आ रही हैं | क्योकि इसके पूर्व मोहन भागवत ने वो बयान नहीं दिए थे जो इस बार लोकसभा चुनाव से पूर्व दे रहे हैं | वैसे तो सभी के सामने गठबंधन का बिखराव होता हुआ नज़र आ रहा हैं लेकिन शायद ऐसा होने वाला नहीं हैं, वरना संघ इतना चिंतित नहीं होता | लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ऐसा लगता हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्थान पर कोई बड़ा परिवर्तन भी हो सकता हैं |
”रामलला हम आएंगे मंदिर वहीँ बनवाएंगे” का नारा कई वर्षों से कानों में गूंज रहा हैं और ऐसा लग रहा हैं कि अभी तक भाजपा की सरकार नहीं बन सकी है | क्योकि वर्तमान भाजपा सरकार का इस समय वो नारा नहीं हैं जो बाबरी मस्जिद के विघ्नसंन का समय लगाया गया था | हिन्दू इस समय जहाँ भाजपा की नीतियों से नाराज़ हैं तो वो ये भी समझ रहे हैं कि इस बार भाजपा प्रचंड बहुमत से सरकार बनाये हुए हैं और चाहे तो राममंदिर पर क़ानून लाकर, मंदिर का निर्माण करा सकती लेकिन इस मामले पर भाजपा सिर्फ बहला रही हैं | हालाँकि अब संघ की फटकार के बाद ही नहीं बल्कि चुनाव से पूर्व भाजपा खुद मंदिर निर्माण पर क़ानून लाकर मंदिर का निर्माण अवश्य कराएगी, जिससे भाजपा की तमाम गलतियों पर पर्दा डल जाये और फिर से एक बार हिंदुत्व कार्ड खेलकर 2019 में भाजपा को सफलता प्राप्त हो जाये | ज़ाहिर हैं कि मंदिर निर्माण के समय देश में हलके-फुल्के दंगे होंगे और कुछ लोगों की हत्यायें होंगी, कर्फ्यू लगेगा और लोगों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया जायेगा| लेकिन मंदिर निर्माण के बाद धीरे-धीरे कुछ दिनों में हर मामला शांत हो जायेगा | हालाँकि जिस तरह एससी/एसटी संशोधन बिल पास कराया गया ठीक उसी तरह से राममंदिर निर्माण के लिए भी बिल पास कराया जा सकता है |दोनों मामले सर्वोच्च न्यायलय में थे ,बल्कि सर्वोच्च न्यायलय ने एससी/एसटी पर जो आदेश पारित किया था, भाजपा उसके आदेश के विरुद्ध जाकर दोनों सदनों से इस संशोधन बिल को पास कराने में कामयाब हो गई थी, तो ऐसी स्थिति में राममंदिर निर्माण पर बिल पास कराना भाजपा के लिए बाएं हाथ का खेल हैं | लेकिन ये खेल भाजपा, केंद्र सरकार में आने के बाद 2019 का क्यों इन्तेज़ार कर रही थी ये लिखना बेहतर नहीं हैं |

 

 

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