HomeArticleमेरे पास धन है, गठबंधन है ,तुम्हारे पास क्या है ? मेरे...

मेरे पास धन है, गठबंधन है ,तुम्हारे पास क्या है ? मेरे पास आर. एस. एस है

क्या प्रयिंका ने संघ के इशारे पर रक्खा है उत्तर प्रदेश की राजनीति में क़दम

ज़की भारतीय

लखनऊ | आगामी लोकसभा चुनाव 2019 की राजनीति का ऊट किस करवट बैठेगा और किसकी बनेगी केंद्र में सरकार ये अभी से कोई व्यक्ति पूरे दावे के साथ नहीं कह सकता , लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव से पूर्व ही मीडिया और राजनीति के एक्सपर्ट ने भाजपा की सरकार बनने का दावा कर दिया था ,लेकिन इस बार क्यों नहीं ? इसका मतलब है कि भाजपा की छवि इसबार किसी हद तक धूमिल हो चुकी है | ऐसा नहीं कि मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव कि राजनीति में पहली बार क़दम रक्खा था ,वो गुजरात के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे थे लेकिन ये अलग बात है कि उनका जादुई भाषण देश कि हर जनता ने पहली बार सुना था |उनके जादुई भाषण ने जो देशवासियों के दिल में जगह बनाई उसमे कोई भी राजनीतिक दल सेंघ लगाने में सफल नहीं हो सका और भाजपा की प्रचंड बहुमत से केंद्र में सरकार बनी | लेकिन आज भाजपा की स्थिति ये हो गई है के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भाजपा को उत्तर प्रदेश में 5 सीटें दे रही है |जिसका शायद मुख्य कारण सपा-बसपा गठबंधन है | हालाँकि इस गठबंधन पर हम आगे बात करेंगे लेकिन नरेंद्र मोदी या भाजपा से दो बड़ी ग़लतियाँ हुई हैं ,जिसमे मुख्य रूप से पहली ग़लती अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण न होना और दूसरी जनता से किये गए वादों पर खरा न उतरना शामिल है | यही नहीं मोदी ने राम मंदिर पर अध्यादेश लाने से साफ़ इंकार करके एक मुहावरे को भी सही साबित कर दिया अर्थात एक तो करेला उसपर नीम चढ़ा | इस बयान से साधु-संतों में भी ज़बरदस्त आक्रोश है | जिस नारे और जिस मुद्दे के दम पर भाजपा ने सरकार बनाई उसी मुद्दे और नारे को भाजपा ने बदल दिया | ”राम लला हम आएंगे मंदिर वहीँ बनाएँगे ” के नारे से लगता था कि जैसे ही भाजपा सरकार में आएगी वैसे ही राम मंदिर निर्माण पर अध्यदेश लाएगी लेकिन भाजपा ”सबका साथ सबका विकास” के नारे पर चलने लगी लेकिन उसमे भी वो फ्लॉप साबित हुई | मोदी का जादुई भाषण अब काम नहीं आने वाला क्योंकि जनता अब परिवर्तन चाहती है | अब करते हैं हम उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की | शायद संघ ने वोटों के धुर्वीयकरण के लिए शिवपाल सिंह यादव , राजाभैया सहित कई राजनीतिक पार्टियों को अस्तित्व में लेकर खड़ा कर दिया और इन्हीं समीकरणों के कारण मायावती और अखिलेश यादव ने गठबंधन कर लिया,जिससे सपा और बसपा के वोट का बिखराओ न हो सके |इस गठबंधन के बाद से ही संघ की चिंता उनके चेहरे से स्पष्ट झलकने लगी थी ,लेकिन इधर अचानक उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ आ गया |ये नया मोड़ प्रयिंका गाँधी के आने के बाद नज़र आ रहा है | सपा और बसपा ने कांग्रेस को अगर अपने साथ शामिल करके गठबंधन किया होता तो निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में भाजपा 4 से 5 सीटों पर ही सिमट सकती थी लेकिन अब कांग्रेस ,भाजपा और गठबंधन की त्रिकोणीय टक्कर होगी ऐसी स्थिति में भाजपा को 40 -50 सीटें मिलने की संभावना है | खासकर देश में अधिकतर प्रदेशों में कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर रही है ,जिससे कांग्रेस को बड़ा लाभ होगा लेकिन बावजूद इसके भाजपा भी सरकार बनाने क़तार में पहले नम्बर पर होगी | अब एक सवाल और उठता है ,जैसे की सूत्रों का कहना है कि प्रयिंका के पति वाड्रा को उनके विरुद्ध चल रही जांचों में जेल न जाने दिए पर संघ ने कांग्रेस को ब्लैकमेल करते हुए कहा है कि प्रियंका को उत्तर प्रदेश में लाओ और उसी पर अमल करते हुए उत्तर प्रदेश में प्रयिंका को लाया गया है | ज़ाहिर है कि प्रियंका की लोकप्रियता के कारण उत्तर प्रदेश में वोटों का जमकर ध्रुवीकरण होगा जिसका सीधा लाभ भाजपा को पहुंचेगा | 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Must Read