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भाजपा द्धारा पश्चिम बंगाल में रथ यात्रा निकालने के अरमान पर शीर्ष अदालत ने लगाया ग्रहण

रथ यात्रा पर रोक का कारण कहीं “रथ” तो नहीं ? 

लखनऊ (सवांददाता) पश्चिम बंगाल के तीन जिलों में रथ यात्रा के आयोजन को अपनी प्रतिष्ठा बना चुकी भाजपा को आज हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी झटका दिया है | रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति के लिये भारतीय जनता पार्टी की याचिका पर शीघ्र सुनवाई से आज सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया। भाजपा ने इस याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी । इस याचिका से जुड़े वकील ने बताया कि उन्हें शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने सूचित किया है कि यह प्रकरण सामान्य प्रक्रिया में ही सूचीबद्ध किया जायेगा।
शीर्ष अदालत इस समय शीतकालीन अवकाश की वजह से एक जनवरी तक बंद है। भाजपा ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के शुक्रवार के आदेश को चुनौती दी है जिसने रथयात्रा की अनुमति देने संबंधी एकल न्यायाधीश का आदेश निरस्त कर दिया था। भाजपा ‘लोकतंत्र बचाओ’ अभियान के तहत ये रथ यात्रायें आयोजित करना चाहती है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा इस रथ यात्रा के माध्यम से पश्चिम बंगाल के 42 संसदीय क्षेत्रों में पहुंचने का प्रयास कर रही है।

मूल कार्यक्रम के तहत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बंगाल के कूच बिहार जिले से सात दिसंबर को इस रथ यात्रा की शुरूआत करने वाले थे। इसके बाद यह रथयात्रा नौ दिसंबर को दक्षिणी 24 परगना के काकद्वीप और 14 दिसंबर को बीरभूम में तारापीठ मंदिर से शुरू होनी थी।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने सबसे पहले इस रथ यात्रा पर रोक लगाई थी, जिसके बाद भाजपा हाई कोर्ट की एकल बेंच में चली गई थी, जहाँ भाजपा को रथ यात्रा की इजाजत मिल गई थी, लेकिन सरकार की ओर से इस आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायलय जाकर रथ यात्रा से होने वाले नुक़सानात के बारे में बताया गया था, जिसके बाद एकल बेंच का फैसला निरस्त कर दिया गया था | इसी फैसले के विरुद्ध भाजपा शीर्ष अदालत पहुंची थी |

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