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इमामबाड़ा हुसैनिया क़ाएमा खातून में जनाबे उम्मुल बनीन (स अ) की शहादत के मौके पर हुई मजलिस

शायर नायाब हल्लौरी ,इफ़्हाम उतरोलवी,अज़ादार अज़मी,सलीम बलरामपुरी समेत कई शायरों ने की पेश ख्वानी 

लखनऊ (संवाददाता) लखनऊ के सज्जाद बाग़ इलाक़े में स्थित इमामबाड़ा हुसैनिया क़ाएमा खातून में आज हर साल की तरह हज़रत अब्बास (अस) की वालिदा और हज़रत अली (अस) की ज़ौजा जनाबे उम्मुल बनीन (स अ) की शहादत के सिलसिले में अहले मौहल्ला सज्जादबाग़ की जानिब से शब में
7 :30 बजे मजलिस का इनएकाद हुआ |
मजलिस का आगाज़ तिलावते कलमे पाक से क़ारी नदीम नजफ़ी ने किया बादहु तिलावते कलामे पाक लखनऊ के मशहूर सोज़ख्वान ओन ज़ैदी और मुशीर हुसैन ने अपने मख़सूस अंदाज़ में सोज़ो-सलाम पेश किया |
सोजख्वानी के बाद दुनिया भर में अपनी शायरी का लोहा मनवाकर अपना नाम रोशन करने वाले शायरों ने बारगाहे अहलेबैत ( अ स ) में खराजे अक़ीदत पेश किया | इनमे में नायाब हल्लौरी ,इफ़्हाम उतरोलवी ,असद नसीराबादी ,अज़ादार आज़मी, सलीम बलरामपुरी , जिना ज़फराबादी के नाम शामिल हैं |
वैसे तो सभी शायरों ने अपने कलाम से जहाँ लोगों को अहलेबैत (अस) की शान में अशआर सुनाकर खुश किया वहीँ अहलेबैत (अस) पर हुए ज़ुल्मो सितम की अक़्क़ासी जब शायरी के ज़रिये की गई तो मोमेनीन गिरया करने लगे |
शोअराए कराम के बाद मौलाना वसी हसन खान ने मजलिस को खिताब किया |उन्होंने अपनी खिताबत में हुस्ने अखलाख पर ज़ोर देते हुए कहा कि वो हज़रत अब्बास (अस) जिन्होंने अपने भाई हज़रत इमाम हुसैन (अस) को कभी भाई नहीं कहा ,जनाबे ज़ैनब (स अ) के सामने आए तो सर झुकाए रहे | दरअसल ये सब तरबियत देने वाली उनकी माँ उम्मुल बनीन थीं ,मौलाना ने कहा कि उन्होंने इसी तरह से हमेशा हज़रत फ़ातेमा ज़हरा(स अ) का एहतेराम किया |
मौलाना ने हज़रत अब्बास (अस) की शुजाअत का तसकरा किया और कर्बला में हुई उनकी दर्दनाक शहादत का भी ज़िक्र किया | उन्होंने बताया कि जब आखरी वक़्त हज़रत इमाम हुसैन (अस) हज़रत अब्बास (अस)के पास पहुंचे तो हज़रत इमाम हुसै (अस) ने हज़रत अब्बास (अस) से खुद रोते हुए एक तमन्ना की,उन्होंने कहा कि अब्बास तुमने हमेशा मुझे आक़ा कहा है ,आज दिल की तमन्ना है कि तुम मुझे भाई कह दो |मौलाना ने दोनों भाइयों का आखरी वक़्त का जो प्यार और गुफ्तुगू बयान कि तो अज़ादार चीख-चीख कर गिरिया करने लगे ,चरों तरफ से सदाए या हुसैन -सदाए या अब्बास बलन्द होने लगी | बादे मजलिस अंजुमन सज्जादिया सज्जादबाग़ ने नौहा ख्वानी व सीना ज़नी की |
मजलिस के बाद नज़्र का एहतेमाम किया गया था |

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