जश्न-ए-रिसालत माब
5 दिसम्बर (बुध) 26 रबीउलअव्वल 7 बजे शब मस्जिद मोहम्मदी नक्खास पुलिस चौकी की पुश्त पर |
जुमला मोहिब्बाने रसूल व आले रसूल से बसद एहतेराम शिरकत की गुज़ारिश है |
———————————————मिनजानिब :मेहदी रिज़वी (बल्लू ) आलिम क्राकरी नक्खास लखनऊ
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उपमुख़्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का बुलंदशहर के दंगाइयों के प्रति हमदर्दी का बयान निराशाजनक
योगी आदित्यनाथ और बुलंदशहर के प्रशासन की कार्यप्रणाली सम्मानजनक
(ज़की भारतीय)
लखनऊ (संवाददाता) बुलंदशहर में कल दंगाइयों के क्रोध का शिकार हुए शहीद इंस्पेक्टर सुबोध की बहन ने कहा की उनका भाई इकलाख हत्याकांड की वजह से शहीद हुआ है। उन्होंने कहा मेरा भाई इकलाख केस की जांच कर रहा था और और इसी वजह से उसकी हत्या हुई, यह पुलिस द्धारा रचा गया षड्यंत्र है। उन्हें शहीद का दर्जा देना मिलना चाहिए और उनकी याद में एक स्मारक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें पैसे नहीं चाहिए है ।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी सिर्फ गाय-गाय कहते रहते हैं। जैसा कि सबको पता हो चुका है कि कल बुलंदशहर के स्याना तहसील के गांव महाव में सोमवार सुबह गाय के मास के अवशेष मिलने पर पुलिस, हिंदूवादी संगठनों और ग्रामीणों में जमकर टकराव हुआ था। गुस्साए ग्रामीणों ने चिंगरावठी चौकी के पास सड़क पर जाम लगा दिया। स्याना थाने के कोतवाल इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह का सिर्फ इतना सा कसूर था कि वो मौके पर पहुंचकर जाम खुलवाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन दंगाइयों ने उनपर पथराव कर दिया।यही नहीं भीड़ ने चौकी के बाहर खड़े पुलिस के दर्जनों वाहनों में आग लगा दी। चौकी में घुसकर तोड़फोड़ की और सामान को आग लगा दी। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने हवाई फायरिंग की। इस पर दंगाइयों ने सुबोध कुमार पर हमला बोल दिया। घटना में गोली लगने से कोतवाल सुबोध और एक युवक सुमित की मौत हो गई।
इस मामले में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि किसी संगठन का नाम अभी सामने नहीं आया है | उन्होंने कहा, उनका प्रयास रहेगा कि किसी निर्दोष को सजा न हो इसलिए एसआईटी का गठन किया गया है जिससे निष्पक्ष जांच हो सके सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के सम्बन्ध में उनका कहना था कि इसकी भी जांच हो रही है|
उन्होंने बताया कि सुमित जो प्रदर्शनकारियों में शामिल था, उसके शरीर से मिली गोली कि भी जाँच की जा रही है| इसके अलावा वीडियो में इंस्पेक्टर अकेले थे,उनके साथ पुलिस क्यों नहीं थी इसकी एसआईटी जांच करेगी| उन्होंने ये भी कहा कि जाँच के बाद पता चलेगा कि घटना के पीछे कौन था | इस घटना कि पीछे कोई भी हो या बात अलग है लेकिन मुख्य मुद्दा ये है कि जिन उपद्रवियों ने क़ानून अपने हाथ में लिया और क़ानून व्यवस्था को धता बताकर पुलिस चौकी पर हमला किया और चौकी पर खड़े वाहनों को आग के हवाले कर दिया ,आखिर उनको ये अधिकार किसने दिया ? शायद जवाब आए कि भाजपा कि सरकार हिन्दू संघठन कुछ भी कर सकते हैं,लेकिन ऐसा कदापि नहीं है |मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी तरह प्रदेश में शांति का राज्य स्थापित करने का भरसक प्रयास करते आ रहे हैं |अभी हाल ही में अयोध्या में धर्मसभा और शिव सेना के कार्यक्रम को भी पूरी शक्ति झोंककर शांतिपूर्वक संपन्न होने दिया | सवाल ये है कि गोमास के अंश मिलने पर पुलिस में शिकायत दर्ज करना चाहिए था ,पुलिस जाँच करती और जब ये साबित हो जाता कि बरामद मास गाय का है तो पुलिस अपने स्तर से कार्रवाई करती |अगर यूँ ही हर व्यक्ति अपने आप फैसले करने लगा और क़ानून अपने हाथ में लेने लगा तो क़ानून का राज्य ख़त्म हो जाएगा और जंगल राज्य स्थापित हो जाएगा | घटना में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। पहली गोकशी की और दूसरी हिंसा की। जिसमें 27 लोगों को नामजद किया गया है और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मेरठ जोन के एडीजी ने बताया कि इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार और 4 को हिरासत में लिया गया है।
गिरफ्तार लोगों में मुख्य अभियुक्त बजंरग दल का जिला संयोजक योगेश राज भी शामिल है। एक एसआईटी का गठन भी किया गया है| जो मूर्खता की जाँच करेगी कि हिंसा क्यों हुई और क्यों पुलिसकर्मियों ने मृत इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को अकेला छोड़ दिया था।मूर्खता की जाँच का तात्पर्य है की जब पता हो चूका है कि गोमांस के अंश मिलने के बाद नाराज़ हिन्दू संघठनों ने सड़क पर प्रदर्शन किया है तो अब इसकी जाँच का उद्देश्य ही क्या ? मुख्य मुद्दा है कि आखिर गोमांस डालने वाला कौन था ये अहम् मुद्दा है | क्योंकि मुसलमानों के एक बड़े इजलास के आखरी दिन इस तरह कि घटना अपने में एक सवालिया निशान है | एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने प्रेस वार्ता के दौरान जहाँ उन्होंने कहा कि किसी संगठन का नाम अभी सामने नहीं आया है जबकि एफआईआर में कई हिंदू संगठन जैसे बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के नाम आरोपियों में शामिल हैं।
बहरहाल आज सुबह पुलिस लाइन में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को श्रद्धांजलि दी गई। इंस्पेक्टर के बेटे अभिषेक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, मेरे पिता चाहते थे कि मैं एक अच्छा नागरिक बनूं जो समाज में धर्म के नाम पर हिंसा नहीं फैलाता। आज मेरे पिता ने हिंदू-मुस्लिम के नाम पर अपनी जान गंवा दी अब कल किसके पिता अपनी जान गंवाएंगे? एडीजी का कहना है कि पुलिस ने स्थिति नियंत्रित करने के लिए हवा में फायरिंग की थी। इस पर ग्रामीणों ने तमंचों से गोलियां चलाईं,सवाल ये है कि आखिर दंगाई अगर दंगा करने के इरादे से नहीं आए थे तो उनके पास असलहे क्यों थे ? योगी सरकार और पुलिस की सराहना करना पड़ेगी की इन्होने देश को एक बड़े दंगे की आग में जाने से बचा लिया | मुख्यमंत्री ने घटना में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो की मौत पर दुख जताते हुए जिले के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को शांति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। इलाके में पांच कंपनी आरएएफ और छह कंपनी पीएसी के साथ-साथ पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
मुख्यमंत्री ने बुलंदशहर की घटना के दिवंगत पुलिस इंस्पेक्टर की पत्नी को 40 लाख रुपये और माता-पिता को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का एलान किया है। साथ ही दिवंगत इंस्पेक्टर के आश्रित परिवार को असाधारण पेंशन और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की है। उप मुक्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तो अपने बयान में यहाँ तक कह डाला कि अभी इस मामले में हिंदू संघठनों का नाम लेना जल्दबाज़ी होगी ,लेकिन योगी जैसे मुख्यमंत्री को इस प्रकरण में सलाम |