HomeCITYनाज़नीन बेगम को मिला उर्दू अकादमी से अवार्ड

नाज़नीन बेगम को मिला उर्दू अकादमी से अवार्ड

लखनऊ,संवाददाता | पढ़ने के बाद इंसान वैज्ञानिक बन सकता , इंजीनियर बन सकता हैं ,डॉक्टर बन सकता हैं ,आईएइस बन सकता हैं और कम से कम क्लर्क भी बन सकता हैं | लेकिन शायरी एक ऐसा फन हैं जिसके लिए तालीम भी ज़रूरी नहीं हैं | क्योंकि तारीख के वरख पर सैकड़ों ऐसे शायर गुज़रे हैं जो पढ़े लिखे नहीं थे | शायरी और कामों की तरह सीखने से भी नहीं आती हैं ,दरअसल ये शायरी खुदा दाद सलाहियत होती हैं और जिसे अता होती है वो फितरती शायर बनता हैं | एक वैज्ञानिक ने कहा था कि मैं दुनिया का हर काम कर सकता हूँ सिवाए शायरी के | ये अलग बात हैं कि शायरी में भी कई सिन्फ़ें होती हैं ,जिनमें ग़ज़ल, नौहे, सलाम ,मन्क़बत और क़सीदे वगैरह शामिल हैं | ज़रूरी नहीं कि हर शायर हर सिन्फ़ में माहिर हों ,क्योंकि कुछ शायरों का ख्याल ग़ज़ल की तरफ रहता हैं तो कुछ नौहे सलाम और मन्क़बत वगैरह की दुनिया में खुद को समेट के रखते हैं | हालाँकि कुछ ऐसे भी होते हैं जो हर सिन्फ़ में माहिर होते हैं और दुनिया में अपना ऐसा नाम करते हैं कि आने वाली पीडियां उनपर रिसर्च करती हैं उनमे मीर अनीस ,मिर्ज़ा दबीर अल्लामा इक़बाल वगैरह के नाम शामिल हैं | शायरी की अता सिर्फ मर्दों तक महदूद नहीं रही बल्कि ख्वातीन का भी ज़ेवर रही ,जिनमे मीना कुमारी ,परवीन शाकिर और अंजुम रहबर समेत सैकड़ों नामों की फेहरिस्त है लेकिन ज़्यादातर शायरात ग़ज़लों की शायरा हैं न कि नौहे या सलाम की | इन शायरात के अलावा जो मज़हबी शायरा हैं उनके नाम आप तक मुश्किल से पहुंचते हैं |
बहरहाल हम आज एक ऐसी शायरा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो अपने बचपन से मन्क़बत ,सलाम, क़सीदे और नौहे कहने लगीं थी | ये शायरा लखनऊ के कश्मीरी मोहल्ला की रहने वाली हैं आप का नाम नाज़नीन बेगम और तखल्लुस नाज़ ज़ैदपुरी है | लगभग 70 वर्षीय नाज़ ज़ैदपुरी ने हज़ारों मन्क़बतें ,सलाम और नौहे कहे ,लेकिन अब क़िस्मत ने साथ दिया तो उर्दू अकादमी के ज़रिये एज़ाज़ से नवाज़ी गईं | नाज़ ज़ैदपुरी के नौहे के मजमुए ने उन्हें ये एज़ाज़ दिलवाया ,इस मजमुए का नाम तोहफा -ए -ग़म रक्खा गया है |100 पेज के इस नौहे के मजमुए में कर्बला को पेशे नज़र रखा गया और हज़रत इमाम हुसैन (अस) और उनके घरवालों पर पड़ी मुसीबतों को मरकज़ बनाया गया है | अवार्ड मिलने और नौहे का मजमुआ शाया होने के बाद लोगों को इनके बारे में इल्म हों सका | आप इनके नौहे का मजमुआ ज़रूर खरीदें और घरों पर रखे ,जिससे आप इनके नौहे पढ़ सकें |

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