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जस्टिस केएम जोसेफ के मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के जजों ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा से की मुलाकात

लखनऊ (सवांददाता) तीन जजों को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के जज की शपथ दिलाए जाने से पहले ही सर्वोच्च न्यायालय के कुछ जज नाराज बताए जा रहे थे| इस मामले पर कल से इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मिडिया में तीन जजों की शपथ दिलाए जाने की चर्चा प्रकाश में आ रही थी| बताते चले कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को तीन जजों के वरिष्ठता क्रम में सबसे नीचे रखा गया है। जबकि कॉलेजियम ने सरकार को जोसेफ के नाम की सिफारिश अन्य दोनों जजों से पहले भेजी थी। इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा से मुलाकात की और सरकार के इस फैसले पर अपना विरोध दर्ज कराया।
सूत्रों के मुताबिक कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने से पहले जजों ने मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात की। इनमें कोलेजियम के सदस्य जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ भी शामिल थे। किसी कारणवंश जस्टिस रंजन गोगोई उपस्थित नहीं थे। सूत्रों के मुताबिक चीफ जस्टिस ने जजों को भरोसा दिया है कि वह जस्टिस गोगोई के साथ विचार-विमर्श करेंगे और केंद्र के साथ इस मुद्दे को उठाएंगे।

बताते चले कि केंद्र सरकार ने बीते शुक्रवार को हाईकोर्ट के तीन चीफ जस्टिस की बतौर सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्ति को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें तीनों जजों में जस्टिस केएम जोसेफ को वरिष्ठताक्रम में सबसे आखिर में रखा गया है।

नोटिफिकेशन में मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इंदिरा बनर्जी का नाम सबसे ऊपर है। दूसरे नंबर पर ओडिसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विनीत शरण का नाम है। और इनके बाद उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ का नाम है। इस क्रम के मुताबिक जस्टिस इंदिरा बनर्जी सबसे पहले शपथ लेंगी, जस्टिस विनीत शरण दूसरे नंबर पर शपथ ग्रहण करेंगे और जस्टिस केएम जोसेफ सबसे आखिर में शपथ लेंगे। इस तरह से इंदिरा बनर्जी वरिष्ठता में सबसे ऊपर हो जाएंगी|
जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से कहा कि जस्टिस केएम जोसेफ को सबसे पहले शपथ दिलाया जाना चाहिए क्योंकि उनका नाम अन्य दूसरे नाम की तुलना में महीनों पहले भेजा गया था।

गौरतलब है कि जस्टिस जोसेफ की सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति को लेकर पिछले कुछ समय से सुप्रीम कोर्ट कोलीजियम और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्ति के लिए जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की सिफारिश वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा के नाम के साथ 10 जनवरी को की थी।

केंद्र सरकार ने मल्होल्त्रा के नाम को स्वीकार कर लिया था और जोसेफ के नाम पर दुबारा विचार करने के लिए वरिष्ठता की उपयुक्तता की कमी का हवाला देते हुए लौटा दिया था। इंदु मल्होत्रा के सुप्रीम कोर्ट में जज की शपथ लेने के बाद कोलेजियम ने 10 मई को सैद्धांतिक तौर पर तय किया कि जस्टिस जोसेफ का नाम दोबारा भेजा जाएगा।

दरअस्ल उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस जोसेफ ने उस पीठ का नेतृत्व किया था जिसने 2016 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को निरस्त कर दिया था। उत्तराखंड में उस समय कांग्रेस की सरकार थी। केंद्र सरकार के फैसले को पूरे विवाद से जोड़कर देखा जा रहा था।

न्याय विभाग के मुताबिक वरिष्ठता इस बात से तय होती हैं कि, किसी व्यक्ति की नियुक्ति बतौर हाईकोर्ट के जज किस दिन हुई, ना कि इससे कि वह हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश कब बना।

 

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