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जब कोरोना वायरस के साथ ही मरना जीना था ,तो क्यों लगाया था लॉकडाउन ?

ज़की भारतीय

लॉकडाउन खत्म करने के सिवा,सरकार के पास नहीं था और कोई विकल्प

लखनऊ ,संवाददाता | कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोरोना प्रभावित देशों ने लॉकडाउन को एक मात्र विकल्प मान लिया था और कल लगभग दो माह व्यतीत होने के उपरांत सरकार की समझ में आ गया कि लॉकडाउन जारी रखना देश हित में उचित नहीं है |इसीलिए कुछ गाइडलाइन के साथ कल से लॉकडाउन का झंझट लगभग समाप्त हो जाएगा | लेकिन मेरे अपने विचार के अनुसार लॉकडाउन तब तक नहीं खोलना चाहिए  ,जब तक भारत में एक भी कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति रहता | हालाँकि मेरी इस राय और विचार को लोग सौ प्रतिशत अनुचित ठहराएंगे ,क्योंकि लॉकडाउन से देश की आर्थिक स्थिति चरमरा चुकी है ,लोग कंगाली के कगार पर खड़े हैं ,सरकारों के ख़ज़ाने ख़ाली होने वाले थे,निर्धन ही नहीं बल्कि मध्यम वर्ग के लोग भी दो वक़्त की रोटी के लिए हालात से जूझ रहे थे और ऐसे समय में सरकार के पास लॉकडाउन को खत्म किये जाने के अतिरिक्त कोई और विकल्प भी नहीं है |

क्या लॉकडाउन का फैसला भी नोट बंदी की तरह ?

जिस प्रकार से काळा धन बाहर निकलवाने के लिए प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने अपने विचार के अनुसार उचित कार्य किया और करोड़ों लोगों को लाइन में खड़ा कर दिया ,लाख विरोध के उपरान्त भी मोदी जी के फैसले की दिवार को कोई गिरा नहीं सका और कितना काला धन निकलकर सामने आया ये आप मुझसे बेहतर जानते हैं | ठीक यही परिणाम लॉकडाउन लगाए जाने और उसे पूरी तरह उठा लिए जाने के बाद आने वाला है | हमारे देश में सोशल डिस्टेंसिंग के पालन पर अधिक बल दिया गया था ,जिसका मुख्य कारण था कि किसी को किसी से कोरोना वायरस न हो और इस तरह ये वायरस भारत में अपने पैर नहीं पसार सके | लेकिन आज मेरा सरकार से ये प्रश्न है कि क्या कोरोना वायरस भारत से ख़त्म हो गया या जिस चीन से आया था वहीँ वापिस चला गया ? स्पष्ट है कि सरकार को भी यही कहना पड़ेगा कि अभी भारत कोरोना वायरस मुक्त नहीं हो सका है | जब पहले कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन का सहारा लिया गया था तो अब लॉकडाउन किस लिए उठाया जा रहा है | अभी नहीं तो क्या हुआ मगर 30 जून से लॉकडाउन पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा जब यही करने पर सरकार बाध्य है तो पहले लॉकडाउन का सहारा क्यों लिया गया ? शायद सरकार उत्तर दे कि आज अगर लाखों संक्रमित हैं और हज़ारों की जानें गईं तो लॉकडाउन न लगाए जानें से करोड़ों संक्रमित होते और लाखों लोग मर चुके होते ,अगर सरकार के इस उत्तर को स्वीकार भी कर लिया जाए तो अब जो लॉकडाउन उठाया जाएगा तो क्या सरकार इसकी ज़िम्मेदारी लेने को प्रतिबद्ध है कि कल से कोरोना मरीज़ों की संख्या नहीं बढ़ेगी ? दरअस्ल लॉकडाउन का लगाना या उसको उठाया जाना भी नोटबंदी के फैसले की तरह ही साबित होने जा रहा है |

ये कैसा दिशा निर्देश ? होटलों में 50 प्रतिशत और धार्मिक स्थलों में सिर्फ 5 लोग

कल से उत्तर प्रदेश में मॉल, होटल-रेस्तरां और साथ ही धार्मिक स्थल खुलने जा रहे हैं। चूंकि मौजूदा स्थिति में यह आवश्यक हो गया था कि आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को बल दिया जाए इसलिए होटल-रेस्तरां, मॉल खोलने की अनुमति देना सरकार की बाध्यता थी , लेकिन धार्मिक स्थलों को खोलने की आज्ञा के बाद जो गाइडलाइन जारी की गई और आज लखनऊ में पुलिस के उच्चाधिकारियों ने मंदिरों के महंतों और अन्य धर्मगुरुओं के साथ जो वार्ता की है उससे शायद वो लोग सहमत नहीं हैं | मस्जिदों में सिर्फ 5 लोग नमाज़ अदा कर सकते हैं या मंदिरों में सिर्फ 5 लोग पूजा कर सकते हैं ,जबकि होटलों /रेस्टोरेंट के लिए जारी आदेश में कहा गया है कि यदि बैठने कि 100 लोगों की क्षमता हो तो वहाँ 50 लोग ही बैठेंगे ,मतलब 50 प्रतिशत लोग खाना खा सकते है | यदि होटलों में 50 प्रतिशत लोग आ सकते हैं तो मंदिरो और मस्जिदों सहित अन्य धार्मिक स्थलों में क्यों नहीं ? इसके अलावा भी हर मस्जिद छोटी या मंदिर बड़ा नहीं होता है ,कुछ मंदिर और मस्जिदें बहुत बड़ी भी होती हैं इसलिए हर मस्जिद या मंदिर के लिए एक ही क़ानून कहाँ तक उचित है | इसलिए धार्मिक स्थलों के लिए दिशा निर्देशों में या तो बदलाव किया जाए या फिर धार्मिक स्थलों को अभी बंद ही रक्खा जाए |

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