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उम्र सही है लेकिन उमर ग़लत ,रसूले अकरम ने कहा फात्मा मेरा दिल है ;मीसम ज़ैदी

लखनऊ (संवाददाता) आज छह मुहर्रम के मौके पर लखनऊ में जारी मजलिसों में अज़ादारों की संख्या 5 मुहर्रम के मुक़ाबिल दो गुनी से भी ज़्यादा नज़र आ रही थी |रोज़ की तरह आज भी सुबह 11 बजे इमामबाड़ा ग़ुफ़रानमाब में आयोजित मजलिस को शिया धर्मगुरु सय्यद कल्बे जव्वाद नक़वी ने संबोधित किया |यहाँ के बाद इमामबाड़ा आग़ा बाकिर में आयोजित मजलिस को ज़ाकिरे अहलेबैते मीसम ज़ैदी ने संबोधित किया,इसीतरह शिया पीजी कालेज की मजलिस को धर्मगुरु अब्बास नासिर अबकाती ने संबोधित किया ,जब्कि मदरसे नाज़मिया में आयोजित मजलिस को धर्मगुरु हमीदुल हसन ने संबोधित करते हुए अपने विषय हुसैन और इस्लाम पर मजलिस को संबोधित किया |इसके अलावा भी लखनऊ भर में सुबह से देर रात तक मजलिसों का सिलसिला जारी रहा|
मैदान एल एच खान में स्थित ज़ेहरा अपार्टमेंट में आयोजित मजलिस को सम्बोधित करते हुए धर्मगुरु हसन बाक़िर ने कहा की ये फ़र्शे अज़ा है ,यहाँ इंसानियत का दर्स दिया जाता है,उन्होंने कहा कर्बला का ज़िक्र ऐसा ज़िक्र है जिससे इंसान प्रेम,बलिदान ,धैर्य जैसे तमाम मामलों को समझता है |उन्होंने कहा की लखनऊ अज़ादारी की वजह से सारी दुनिया में लखनऊ की पहचाना है|क्योंकि यहाँ की ज़बान भी शीरी है|उन्होंने कहा कि ये अलग बात है कि लोग उर्दू ज़बान को खराब कर रहे हैं |उन्होंने उदहारण देते हुए कहा कि लोग तख़्त को तखत बोलने लगे हैं ,सिर्फ को सिरिफ बोलने लगे हैं ,सिफ्र को सिफर बोलने लगे हैं और उम्र को उमर बोलने लगे है ,जब्कि उम्र सही है उमर ग़लत है |
उन्होंने बाद में कर्बला का मार्मिक चित्रण किया जिसे सुनकर अज़ादार शोकाकुल हो गए और जिसके बाद हज़रत इमाम हुसैन (अस) के 18 वर्ष के पुत्र का ताबूत निकाला गया |
आग़ा बाक़िर में मजलिस को संबोधित कर रहे धर्मगुरु मीसम ज़ैदी ने अपने संबोधन में कहा कि शबे क़द्र में क़ुरआन रसूल (स.अ.व.व) के क़ल्ब यानि दिल पर नाज़िल हुआ ,और रसूले इस्लाम ने अपनी बेटी हज़रत फ़ातेमा ज़हरा(स.अ ) को अल फतेमतो क़ल्बी का लक़ब दिया |उन्होंने कहा कि इसका मतलब फातिमा मेरा दिल है| अब जिसे क़ुरआन समझना हो वो फातिमा को समझे और क़ुरआन कि तरह उनका एहतराम करे |उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल ने जितने अलक़ाब अपनी बेटी को बख्शे वो अलक़ाब चुरा लिए गए ,मगर रसूल ने एक ऐसा अलक़ाब अपनी बेटी को दिया जो कोई आज तक चुरा नहीं सका |उन्होंने कहा कि रसूले अकरम ने अपनी बेटी को उम्मो अबीहा का लक़ब दिया जिसका मतलब होता है कि अपने बाप की माँ | उन्होंने कहा की मुस्लमान इस लक़ब को नहीं चुरा सका |उन्होंने कहा कि उम्मत कि माँ और होती है और और रिसालत कि माँ और होती है |
उन्होंने कहा कि गैरों की छोड़िये अब तो अपने भी कुछ हक़ीक़ी माँ के अलावा इस्तेलाही माँ को भी माँ कहने लगे हैं ,मैं उन लोगों से कहना चाहता हूँ कि अगर इतनी ही अच्छी माँ हैं तो अपने घर जाकर अपनी हक़ीक़ी माँ को उसके नाम से पुकार के दिखाओ ?
उन्होंने कहा कि हम हिंदुस्तानी हैं और यहाँ के हमारे भाई एक जानवर गए को अपनी माँ मानते हैं ,हम भी उनकी क़द्र करते हैं ,बिलकुल माँ मानकर उसकी सेवा करो मगर माँ को चारदीवारी में रखो मैदान में मत आने दो |आखिर में उन्होंने रसूले अकरम की बेटी फातिमा का अनुवाद बताते हुए कहा कि फातिमा का मतलब है आग से बचाने वाली|उन्होंने कहा कि इसलिए दोज़ख कि आग से फातिमा हम लोगों को बचा लेंगी |
उन्होंने आखिर में हज़रत इमाम हुसैन अस के जवान बेटे अली अकबर अस की शहादत का तज़केरा किया जिसे सुनकर अकीदतमंद रोने लगे|मजलिस के बाद इमामबाड़े में अली अकबर अस का ताबूत निकाला गया ,जिसके बाद अकीदतमंदों ने नौहा ख्वानी और सीनाज़नी की |
आज रात 9 ;30 बजे बड़े इमामबाड़े में अज़ादारों ने हज़रत इमाम हुसैन अस की याद में आग पर मातम भी किया |

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