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आप मुख्यमंत्री हैं सरकार , लॉकडाउन लगाएं या हटाएँ ,लेकिन इन बातों पर दें ध्यान

ज़की भारतीय

लखनऊ,संवाददाता | कोरोना वायरस यानि कोविड -19 के बढ़ते हुए प्रकोप पर काबू पाने और उसकी चेन तोड़ने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने जिस तरह लॉकडाउन लगाकर प्रदेश की जनता के साथ सहानुभूति प्रकट की थी वो अपने आप में एक सराहनीय योजना थी | लेकिन कोरोना वायरस ने प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए सारे क़दमों पर अपने क़हर की ज़ंजीर डाल दी | योगी सरकार ही नहीं कोरोना वायरस पर अंकुश लगाने की जंग में भारत की केंद्र सरकार भी पूर्ण रूप से विफल साबित हुई |
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जितने भी क़दम सरकार ने उठाए उनमें से एक भी क़दम कारगार साबित नहीं हो सका | सरकार द्वारा जनता कर्फ्यू लगाया गया , वीकेंड लॉकडाउन लगाया गया, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा गया , मास्क लगाना अनिवार्य किया गया और सैनिटाइज़र के प्रयोग पर बल दिया गया ,इन सारे उपाए के बावजूद कोरोना लोगों को अपना निशाना बनाता रहा | जनता भी सरकार का हर आदेश मानती रही लेकिन आज तक कोरोना संक्रमितों की संख्या में कहीं से कमी नहीं आ सकी | अब ऐसे हालात के बाद पूरी तरह लॉकडाउन को समाप्त किये जाने के पीछे सरकार की क्या मंशा है ? अब जनता इस प्रशन्न का उत्तर सरकार से जानना चाह रही है |
क्या ये माना जाए कि 6 माह पूर्व कोरोना था ? अब खत्म हो चुका है ,या फिर ये माना जाए कि कोरोना के विरुद्ध जारी जंग प्रदेश सरकार हार गई है | प्रदेश सरकार ने या तो पहले लॉकडाउन लगाकर भूल की थी या फिर अब लॉकडाउन खत्म करके ग़लती की है | दोनों हालात को देखा जाए तो सरकार कहीं न कहीं ग़लत है |
लॉकडाउन से जिन लोगों के व्यापारों पर बादल छाए वो अभी तक छंट नहीं सके ,और अभी वो निर्धनता के बादल छंटने भी नहीं हैं | इसलिए सरकार को जब आने वाले समय में लॉकडाउन समाप्त ही करना था तो आखिर ये लॉकडाउन लगाया ही क्यों था ?

आज इस लॉकडाउन के कारण बाजार में हर वस्तु महंगी हो गई है ,हर कोई किसी वस्तु को दोहरे दाम में बेच कर अपने नुकसान की भरपाई करना चाह रहा है | जिसपर सरकार का ध्यान भी नहीं है |आज अगर रोज़मर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं पर ग़ौर किया जाए तो टमाटर 10 दिन पूर्व 20 रूपए किलो था लेकिन आज वो सेंचुरी मार चुका है, आलू का दाम 50 रूपए किलो हो गया है , हरा धनिया 200 रूपए किलो के आंकड़े को छू चुका है ,प्याज भी 80 रूपए को पार कर चुकी है और सब्ज़ियां भी महंगाई के आंकड़ों को छूने के लिए बेक़रार हैं | सरकार अगर अभी से इस ओर ध्यान नहीं देगी तो आने वाले समय में जनता के लिए सब्ज़ी खाने के लाले पड़ जाएंगे | 

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