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अकेला जौ हज़ारों बीमारियों का इलाज, कोरोना वायरस के प्रकोप में भी है लाभदायक

ज़की भारतीय

जैसा कि हम प्रत्येक शनिवार आपके लिए स्वास्थ सम्बन्धी लेख लिखकर आपतक महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचते आ रहे हैं ,वैसी ही एक महत्वपूर्ण जानकारी आज भी दे रहे हैं | स्वास्थ सम्बन्धी लेख में हम आपको उन्हीं चीज़ों का सेवन बताते हैं जिसे हर कोई खाता रहता है | इसके सेवन से आपको कोई भी हानि नहीं हो सकती ,क्योंकि ये वो अनमोल चीज़ें हैं जिनमे ईश्वर ने सिर्फ लाभ रक्खा है ,न कि हानि |
आजकल कोरोना वायरस का प्रकोप चरम पर है और ऐसी स्थित में दिल के मरीज़ों ,शुगर मरीज़ों और गुर्दे के मरीज़ों के लिए अधिक खतरा बना हुआ है | ऐसे में आवश्यक है कि आप कुछ ऐसी चीज़ों का सेवन करें जो आपकी इन बिमारियों को नियंत्रित कर सकें | बहुत से लोग कह सकते हैं कि इन बिमारियों के लिए वो ऐलोपैथिक दवाइयों का सेवन करते हैं और वो स्वस्थ भी हैं | ये बात सत्य है कि आप अभी स्वस्थ होगें ,लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐलोपैथिक दवाइयां अगर किसी मर्ज़ को फायदा पहचाती हैं तो कोई दूसरा मर्ज़ भी पैदा कर देती हैं ? आप भले ही ये न माने मगर हर फिज़िशियन आपको खुद वही बताएगा जो यहाँ मैं आपको बता रहा हूँ |  हालाँकि हमने लगभग एक वर्ष पूर्व जौ के लाभ बताए थे लेकिन आज हम आपको फिर जौ खाने के संपूर्ण लाभ बताने जा रहे हैं | भारत में लगभग 80 प्रतिशत लोग आटे की रोटी से अपना पेट भरते हैं लेकिन उन्हें ये नहीं पता होगा कि गेहूं के आटे में ग्लूटेन नामक एक तत्व होता है, जिसके बारे में डॉक्टर अयाज़ अहमद सिद्दीक़ी का कहना है कि लंबे समय तक इसका सेवन करने पर सीलिएक रोग हो सकता है। जबकि जौ में गेहूं की तुलना में अधिक पोषक तत्व होते हैं। जौ के आटे में जस्ता, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम सहित कई खनिज होते हैं। इसमें गेहूं की तुलना में अधिक प्रोटीन भी होता है। जौ के आटे के उपयोग से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जौ के आटे में गेहूं की तरह लस नहीं होता है, इसलिए यह आसानी से पच जाता है। जौ के आटे का उपयोग करने से शरीर की कई बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाता है।

1 .जौ फाइबर में समृद्ध है। हमारा शरीर आसानी से फाइबर को पचा नहीं सकता है, इसलिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ हमारे पेट को जल्दी भरते हैं और शरीर में कैलोरी नहीं बढ़ाते हैं। इसलिए अगर आपका वजन कम करने का विचार है, तो जौ की रोटी खाएं। जौ के आटे से बनी रोटी भी मीठी होती है।

2 मधुमेह रोगियों के लिए जौ का आटा बेहद फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। जौ में 8 आवश्यक अमीनो एसिड और घुलनशील फाइबर होते हैं जो इंसुलिन के उत्पादन में मदद करता है। जौ में बीटा ग्लूकेन नामक फाइबर होता है, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। मधुमेह रोगियों के लिए जौ का उपयोग जई की तुलना में अधिक फायदेमंद है।

3 . जौ खाने से हृदय रोग का खतरा बहुत कम हो जाता है। जौ में विटामिन बी 3 (नियासिन), विटामिन बी 1 (थायमिन), सेलेनियम, कॉपर और मैग्नीशियम होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं। ये सभी तत्व शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं और चयापचय को बढ़ाते हैं। इससे शरीर में कहीं भी रक्त के थक्के बनने की संभावना कम हो जाती है। हृदय रोग का मुख्य कारण रक्त प्रवाह में अनियमितता है।

4 .जौ में कई एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। जौ  लिग्निन कैंसर से बचाता है। यह बढ़ती उम्र के प्रभावों को भी कम करता है। जौ का सेवन शरीर में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाता है और खराब बैक्टीरिया को खत्म करता है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म स्वस्थ रहता है। यह प्रोस्टेट कैंसर और स्तन कैंसर के खतरे को कम करता है।

जौ के आटे को खाने की विधि

जौ को आप स्वय बाजार से खरीदें और उसे उस चक्की पर पिसवाइये जिसमे पत्थर लगा हो, मतलब पत्थर के पाट से पीसा जाए | यही नहीं ख़ास बात ये भी है कि इस आटे को इसकी भूसी से अलग मत करवाएं वरना इसका लाभ अधिक नहीं हो सकेगा | आपको इस आटे को भूसी सहित रोटी बनवाकर खाना है | आप चाहें तो इसका नमकीन सत्तू बनवाकर भी पी सकते हैं या अपनी सब्ज़ी पर छिड़कर भी खा सकते हैं | मधुमेह रोगियों के लिए इसकी रोटी ,सत्तू दोनों बहुत लाभदायक हैं लेकिन तीन चीज़ों को उसे हर हाल में त्यागना होगा जिसमे चावल ,गेहूं और आलू के नाम शामिल हैं | खासबात ये भी है कि इसकी रोटी चबा चबा कर खाना चाहिए वरना क़ब्ज़ भी हो सकता है |

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