HomeINDIAलोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहीं ये बातें

लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहीं ये बातें

लखनऊ (संवाददाता) एक सशक्त, सुरक्षित राष्ट्र का सपना हमारे देश के अनेकों महापुरुषों ने देखा है और उसे पूरा करने के लिए अधिक गति के साथ हम सभी को एक साथ मिलकर आगे बढ़ना है। भारत को आज के वैश्विक वातावरण में यह अवसर खोना नहीं चाहिए। देश की आकांक्षाओं को पूरा करने में आने वाली हर चुनौती को हम पार कर सकते हैं। ये बात आज लोकसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही | इस चर्चा में करीब 60 नए सांसदों ने हिस्सा लिया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने अभिभाषण में कहा ,हम भारत को कहा ले जाना चाहते हैं, कैसे ले जाना चाहते, किन चीजों पर हम काम करना चाहते हैं।इसके जवाब में मोदी ने कहा ,इसका खाका उन्होंने पेश कर दिया है।
पीएम ने इस दौरान चुनावी भाषण की तरह कहा कि हम सभी मनुष्य हैं और जो खाका दिल में बैठ जाता है उसे निकालना मुश्किल हो जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के बाद अब जय अनुसंधान की जरूरत है। हमने अपने देश के भीतर ही ऐसा हीन भाव पैदा कर दिया, हमें पर्यटन पर और बल देने की जरूरत है। देश को आधुनिक आधारभूत ढांचे की ओर लेकर जाना है, दुनिया से जो भी व्यवस्थाएं मिल सकती हैं उनका उपयोग करना है, सामान्य जन की जीवन को सुगम बनाना है।

पीएम मोदी ने कहा कि आलोचना के लिए आंकड़ों को हर तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, इसी सदन में जब हम अर्थव्यवस्था में 11 या 13वें स्थान पर पहुंचे थे जब मेज थपथपाई जा रही थी, लेकिन जब 6 पर पहुंचे तो ऐसा लगा जाने क्या हो गया। कब तक इतने ऊंचे रहेंगे कि नीचे दिखाई न दे। हम सब मिलकर देश को ऊंचाई पर ले जाएंगे, इसमें किसका फायदा है। मेक इन इंडिया का खूब मजाक उड़ाया गया, लेकिन क्या कोई इसकी जरूरत को नाकार सकता है।

आज के सामान्य वातावरण में भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में सबके लिए गौरव करने की बात है कि हमारा मतदाता कितना जागरूक है। अपने से ज्यादा वो अपने देश से कैसे प्यार करता है, ये इस चुनाव में देखने को मिला है। इस बात के लिए देश का मतदाता अभिनंदन का पात्र है। मतदाता अपने से ज्यादा अपने देश के लिए फैसले करता है। यह बात इस चुनाव में नजर आई है। देश के मतदाता अभिनंदन के अधिकारी हैं। 2014 में हम पूरी तरह नए थे, देश के लिए अपरिचित थे, लेकिन उस हालात से बाहर निकलने के लिए देश ने एक प्रयोग के तौर पर हमें मौका दिया। 2019 का जनादेश मतदाताओं को धन्यवाद देने योग्य है |

पीएम ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि सदन में कहा गया कि हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता। ऐसी गलती हम नहीं करते, हम किसी की लकीर को छोटी करने में अपना समय बर्बाद नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने में जीवन खपा देते हैं। कुछ लोग इतना ऊपर पहुंच गए हैं कि अपनी जड़ों से कट गए हैं। आपको ऊंचार्इ् मुबारक, हम देश की जड़ों से जुड़ना चाहते हैं।
पर कि सदन में कहा गया कि हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता। ऐसी गलती हम नहीं करते, हम किसी की लकीर को छोटी करने में अपना समय बर्बाद नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने में जीवन खपा देते हैं। कुछ लोग इतना ऊपर पहुंच गए हैं कि अपनी जड़ों से कट गए हैं।

उन्होंने कहा ,चर्चा के शुरुआत में पहली बार सदन में आए डॉ प्रताप सारंगी और आदिवासी समाज से आई हमारी बहन हिना गावित जी ने जिस प्रकार से विषय को प्रस्तुत किया और जिस बारीकी से बातों को रखा, उससे मैं समझता हूं कि मैं कुछ भी न बोलूं तो भी चलेगा। पिछले पांच साल के कार्यकाल में हमारे मन में यही भाव रहा, जिसका कोई नहीं उसके लिए सिर्फ सरकार होती है।

पीएम मोदी ने कहा कि जनता के लिए जूझना, खपना 5 साल की तपस्या का फल मिला है। कौन हारा, कौन जीता यह मेरी सोच का हिस्सा नहीं है। देशवासियों के सपने और उनकी आशा मेरी नजर में रहती है। 2014 में जब जनता ने मौका दिया और सेंट्रल हॉल में वक्तव्य देने का मौका मिला तो मैंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है।

उन्होंने कहा कि, चीजों को बदलने में काफी मेहनत लगती है, 70 साल की बीमारियों को 5 साल में दूर करना कठिन होता है, लेकिन हमने वो दिशा पकड़ी और कठिनाईयों के बावजूद उस दिशा को छोड़ा नहीं। उन्होंने कहा कि हम न अपने लक्ष्य से न हटे न पीछे मुड़े। हमने शौचालय को सिर्फ चार दीवार नहीं समझा, हमने हर व्यवस्था के पीछे के उद्देश्य को समझा, जनता ने चूल्हा मांगा था न बिजली, पहले प्रश्न उठना था कि क्यों नहीं कर रहे अब सवाल उठता है क्यों कर रहे हैं। गरीबों का कल्याण हो, लेकिन साथ में आधुनिक भारत भी आगे बढ़े। देश को आधुनिक बनाने की योजनाएं भी साथ में लागू होनी चाहिए।

पीएम मोदी ने फिर कांग्रेस शासन में लागू की गई इमरजेंसी पर तंस करते हुए कहा कि 25 जून, 1975 को देश की आत्‍मा को कुचल दिया गया था। 25 जून के दाग कभी नहीं मिटेंगे। देश की मीडिया को दबोच दिया गया था। पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था।

पीएम मोदी ने कहा गुजरात के गोल्डन जुबली ईयर में राज्यपाल महोदय के भाषणों का संकलन का काम किया था, वह सरकारें हमारे दल की नहीं थीं, हमने फिर भी ऐसा काम किया। राज्यपाल के भाषणों का संकलन आज भी उपलब्ध है, पहले के कामों को हम गिनते नहीं यह कहना पूरी तरह गलत है। देश को लगता था कि उनके कार्यकाल में नरसिम्हा राव को फिर मनमोहन सिंह को भारत रत्न मिलता, लेकिन परिवार से बाहर के लोगों को उनके कार्यकाल में कुछ नहीं मिल सकता। प्रणब मुखर्जी किस पार्टी के हैं, लेकिन हमने उन्हें भारत रत्न दिया। हम किसी के भी योगदान को नहीं नकारते, सवा सौ करोड़ देशवासियों में सभी आते हैं और उन्हीं की वजह से देश आगे बढ़ा है।
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम ने कहा कि कृषि हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हमें पुरानी परंपरा से बाहर आना पड़ेगा। किसानों की भलाई के लिए सबको मिलकर काम करना होगा। किसानों ने दलहन के जरिए अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम किया। अब तिलहन की बारी है।

पीएम ने कहा कि आजादी के पहले मरने का मिज़ाज था और आजादी के बाद देश के लिए जीने का संकल्प है।जब इरादा कर लिया ऊंची उड़ान का, तब फिजूल ही देखना कद आसमान का। हमें राष्ट्रपति की अपेक्षा को पूरा करने के लिए आगे आना चाहिए। छोटा सोचना मुझे पसंद नहीं है, सवा सौ करोड़ देशवासियों के सपने अगर पूरे करने हैं तो मुझे छोटा सोचने का अधिकार भी नहीं है। हमें आराम का रास्ता पसंद नहीं, हम देश के लिए जीते आए हैं।
उन्होंने कहा कि 3 सप्ताह में सरकार ने कई अहम फैसले लिए ताकि देश को आगे लाया जा सके। किसान सम्मान निधि का दायरा बढ़ाया, सेना के जवानों के बच्चों और पुलिस के बच्चों के लिए भी अहम फैसले लिए। मानव अधिकारों से जुड़े अहम बिल संसद में लेकर आए हैं। सबको साथ लेकर चलने के लिए जितने काम हो सकते हैं हम तुरंत आते ही वो काम किए हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि सरदार सरोवर बांध सरदार पटेल के दिमाग की उपज थी, लेकिन इस बांध पर काम में लगातार देरी हो रही थी। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, मुझे इस परियोजना के लिए उपवास पर बैठना पड़ा। एनडीए के सत्ता में आने के बाद, काम की गति बढ़ गई और इससे कई लोगों को फायदा हो रहा है। आज जब हम जल संसाधनों की बात करते हैं, तो मुझे डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की याद आती है। उन्होंने जलमार्ग और सिंचाई को लेकर जुनून से काम किया।पानी की तकलीफ राजस्थान और गुजरात के लोग जानते हैं और इसी वजह से हमने जल शक्ति मंत्रालय बनाया है। जल संचय पर हमें बल देना पड़ेगा नहीं तो जल संकट बढ़ता चला जाएगा।पानी का संकट से गरीब और महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है।

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