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मायावती कार्यकाल में हुए घोटालों की जांच सीबीआई से कराए जाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

लखनऊ (सवांददाता)। बहुजन समाज पार्टी के कार्यकाल में लखनऊ समैत नोयडा में बने स्मारक घोटाले की सीबीआई द्वारा जांच कराय जाने की मांग को लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट में शशिकान्त उर्फ भावेश पांडेय ने जनहित याचिका दायर की है| याचिका पर कोर्ट ने सरकार से इस मामले में दर्ज केस की प्रगति रिपोर्ट एक हफ्ते के अंदर मांगी है |हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा है कि कोई भी दोषी बचने न पाए| बताते चलें कि बसपा सरकार में मुख्यमंत्री मयावती थी | ज़ाहिर है कि इस जनहित याचिका के बाद मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती है | हालाँकि इस मामले पर पहले से ही एफआईआर दर्ज है और इस मामले की जांच चल रही है , लेकिन इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा कराए जाने के बावत की गई जनहित याचिका क्या किसी राजनितिक स्वार्थ हेतु की गई है | क्योकि अभी तक इस मामले पर ख़ामोश शशिकान्त अब सक्रीय हुए हैं जब लोकसभा चुनाव नज़दीक़ आने वाले हैं |

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने मिर्जापुर के शशिकान्त उर्फ भावेश पांडेय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस प्रकरण की जांच एक हफ्ते के अंदर देने का निर्देश दिया है। इस याचिका में अम्बेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल लखनऊ, मान्यवर काशीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, ईको पार्क, नोएडा अम्बेडकर पार्क, रामबाई अम्बेडकर मैदान स्मृति उपवन आदि के निर्माण में 14 अरब 10 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपये के घोटाले का आरोप है। लोकायुक्त ने जांच रिपोर्ट में खुलासा किया है। इसमें सीबीआई या अन्य जांच एजेंसी से जांच कराने की संस्तुति है।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मायावती सरकार ने लखनऊ के साथ नोएडा में भी दलित महापुरुषों के नाम पर पांच स्मारक पार्क बनवाने के लिए लगभग 4,300 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। इसमें से लगभग 4200 करोड़ रुपये खर्च भी हुए। लोकायुक्त ने अपनी जांच में अनुमान लगाया था कि इसमें से करीब एक तिहाई रकम भ्रष्टाचार में चली गई।

आरोप है स्मारकों के निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए गए गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर से की गई थी, जब्कि इनकी आपूर्ति राजस्थान से दिखाकर ढुलाई के नाम पर भी पैसा लिया गया था। लोकायुक्त ने जांच में उल्लेख किया कि पत्थरों को तराशने के लिए लखनऊ में मशीनें मंगाई गईं थी, इसके बावजूद इन पत्थरों के तराशने में हुए खर्च में कोई कमी नहीं आई। आरोप यह भी है कि भुगतान तय रक़म से दस गुने दाम पर ही किया जाता रहा। अखिलेश यादव सरकार ने जनवरी 2017 में गोमतीनगर थाने में इस मामले को लेकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस घोटाले की जांच सतर्कता विभाग कर रहा है।

लोकायुक्त की जांच में 1400 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आया था।इसमें बसपा सुप्रीमो मायावती, पूर्व मंत्री नसीरुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व मंत्री बाबू राम कुशवाहा व 12 तत्कालीन विधायक इस मामले में आरोपी हैं। इस मामले में इन लोगों के अलावा भी 100 से ज्यादा इंजीनियर और अन्य अधिकारी भी आरोपी बनाए गए थे। बाबते चलें कि इस मामले में 2014 में सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी।

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