HomeSTATEदाल वितरण में गड़बड़ी पर होगी उच्चाधिकारियों पर कठोर कार्रवाई

दाल वितरण में गड़बड़ी पर होगी उच्चाधिकारियों पर कठोर कार्रवाई

लखनऊ,संवाददाता | लॉकडाउन के समय गरीबों को सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अप्रैल से जून तक हर महीने 1 -1 किलो दाल मुफ्त बांटने का फैसला किया था। लेकिन नोडल एजेंसी नैफेड की नाकामी के चलते अप्रैल माह में दाल की आपूर्ति राज्यों को नहीं की जा सकी थी । बताते चलें ,कोरोना महामारी के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन के समय गरीबों के दाल वितरण में हुई देरी व गड़बड़ी की नैफेड निदेशक बोर्ड खुद जांच कराएगा। यह फैसला बोर्ड की बुधवार को हुई बैठक में लिया गया है । उच्च स्तरीय जांच करने वाली कमेटी का गठन अगले सप्ताह कर लिया जाएगा।
आज बुधवार की बैठक में उस समय विवाद हुआ जब बताया गया कि अप्रैल माह में दाल की जरूरत 1.95 लाख टन थी जिसके मुकाबले डेढ़ लाख टन दालों की आपूर्ति विभिन्न राज्यों को कर दी गई थी। लेकिन अधिकतर सदस्यों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और बताया कि मात्र 62000 टन दाल ही सप्लाई की जा सकी थी। इसके बाद दाल के इस प्रकरण की पूरी जांच कराने का फैसला लिया गया।
सूत्र बताते हैं ,साबुत दलहन से दाल तैयार कराने के फैसले में कुछ अधिकारियों की संलिप्ता भी भी शामिल थी।और यह कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए हुआ था। क्योंकि सरकार की ओर से निर्देश दिया गया था कि अप्रैल में अरहर को छोड़कर बाकी दाल साबुत भी बांटे जा सकते हैं।

नैफेड के सहकारी संस्था होने के नाते सरकार की ओर से सीधी कार्यवाही तो नहीं की गई लेकिन केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की ओर से नाराजगी जताई गई थी और स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। लेकिन कुछ दिन पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग में राज्यों के खाद्य मंत्रियों ने दाल न मिलने की शिकायत दर्ज कराई। इस पर केंद्रीय उपभोक्ता व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने सख्त नाराजगी जताते हुए नैफेड के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चढ्डा से पूछताछ की, जिसका कोई संतोषजनक जवाब न मिलने पर उपभोक्ता सचिव पवन कुमार अग्रवाल से पूछा गया। जानकारी के मुताबिक दालों का वितरण अप्रैल, मई और जून में होना है। उपभोक्ता सचिव के नेतृत्व वाली कमेटी ने बफर स्टॉक की दलहन की मिलिंग कराने का फैसला लिया है, जिसमें देर होना तय है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Must Read