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2 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सेवानिवृत होने से पूर्व आ सकते हैं आठ अहम फैसले

लखनऊ (सवांददाता) 2 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा के सेवानिवृत्त होने से पूर्व इन आठ मामलों पर जल्द आ सकते है फैसले, जिनमे आधार कार्ड मामला, अयोध्या मामला , एससी/एसटी पदोन्नति में आरक्षण मामला , व्याभिचार का मामला , कोर्ट में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग मामला , दागियों के चुनाव लड़ने पर रोक का मामला , सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का मामला और नेताओं की बतौर वकील प्रैक्टिस के मामले शामिल है | पिछले बीस वर्षों में जस्टिस मिश्रा सबसे अधिक संवैधानिक पीठों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्‍य न्‍यायाधीश हैं। पीठ में कई ऐसे संवेदनशील मामले आए जो देश की सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक मामले पर काफी अहम रहे। इनमें से कई मामलों की सुनवाई पूरी हो चुकी है और कभी भी फैसले आ सकते हैं।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट में 38 दिनों की सुनवाई के बाद आधार मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था । आधार की अनिवार्यता के मामले में 10 मई को सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ में सुनवाई पूरी हुई थी। निजता को मौलिक अधिकार बताने का फैसला आने के बाद अब इस बात का फैसला आएगा कि क्या आधार के लिए, लिये जाने वाला डाटा निजता का उल्लंघन है अथवा नहीं ?

बाबरी मस्जिद बनाम रामजन्म भूमि के मामले में सुप्रीम कोर्ट इस बात का निर्णय करेगी कि क्या 1994 के एम इस्मायल फ़ारुक़ी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया में पांच जजों की संवैधानिक पीठ के आदेश को दोबारा परखा जाये या नहीं।

एससी/एसटी पदोन्नति में आरक्षण के मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुआई वाली वर्तमान संविधान पीठ को इस बात का निर्णय देना है कि क्या इन मानदंडों पर पुनः विचार करना चाहिए या नहीं ।

इसी तरह व्याभिचार का मामला भी है कि अगर कोई विवाहित पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ उसकी सहमति से संबंध बनाता है, तो संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ महिला का पति व्याभिचार का केस दर्ज करा सकता है। मगर, संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ मामला नहीं बनता। यह नियम भेदभाव वाला है या नहीं, इस पर फैसला आएगा। कोर्ट ने कहा विवाहित महिला अगर किसी विवाहित पुरुष से संबंध बनाती है तो सिर्फ़ पुरुष ही दोषी क्यों? जबकि महिला भी अपराध की जिम्मेदार है. कोर्ट ने कहा धारा 497 के तहत सिर्फ पुरुष को ही पुलिस दोषी मानती है | IPC का एक ऐसा अनोखा प्रावधान है कि जिसमें केवल एक पक्ष को ही दोषी माना जाता है।

अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि कोर्ट कार्यवाही की रिकॉर्डिंग और सीधा प्रसारण होना चाहिए या नहीं। 24 अगस्त को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और ये ओपन कोर्ट का सही सिद्धांत भी होगा।

शीर्ष अदालत इस बात को भी तय करेगा कि जिन नेताओं के खिलाफ गंभीर मामले में आरोप तय हो गए हैं, उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए अथवा नहीं?

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर मचे बवाल के बाद ये मामला भी सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है | इस मामले में उम्र संबंधी पाबंदियों पर भी सवाल उठाए गए हैं। अगस्त में सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के खिलाफ याचिका पर संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए पूछा महिलाओं को उम्र के हिसाब से प्रवेश देना संविधान के मुताबिक है ? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्‍छेद 25 प्रावधान सभी वर्गों के लिए बराबर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मंदिर हर वर्ग के लिए हैं|

नेताओं के बतौर वकील प्रैक्टिस करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। फैसला इसी महीने आ सकता हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर की थी।

 

 

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