लखनऊ, संवाददाता। आज मोहर्रम की 9 तारीख ,है आज की रात को शबे आशूर कहते हैं। आज की रात वो रात है जिसे क़यामत की रात भी कहा जाता है। सुबह नमाजे फज्र के बाद से हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम उनके घर वाले और उनके अंसार शहादत का सिलसिला पेश करना शुरू कर देंगे । इस जंग में इमाम हुसैन अस उनके छोटे-छोटे बच्चे, भतीजे, भांजे और उनके बुजुर्ग दोस्त हबीब इब्ने मजाहिर समैत कुल 72 लोग अजीमुशशान कुर्बानी पेश करेंगे। आज की रात में कल की जंग के लिए खाका तैयार किया जा रहा है ,कौन किस जगह से हमला करेगा और कैसे यजीद के 9 लाख के लश्कर को नेस्तो नाबूद किया जाएगा। लेकिन कल का मंजर कुछ और ही होगा। हजरत अब्बास अस जैसे शुजा भाई को हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम जंग की इजाजत नहीं देंगे। हजरत अब्बास अस भी तलवार अपनी बहन शहजादी जैनब के सामने तोड़कर उन पर निछावर कर देंगे और एक टूटा हुआ नैजा लेकर सिर्फ पानी की सबील करने के लिए दरिया पर जायेंगे। लेकिन वह नन्हे नन्हे बच्चों की प्यास को बुझाने वापस नहीं आ सकेंगे और शहीद हो जाएंगे । कल का दिन सुबह से शाम तक इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पर मुसीबत का दिन है। तीन दिन की भूख और प्यास में एक-एक करके 71 लाशों को उठाना एक नामुमकिन काम था,जिसे इमाम हुसैन ने बिना किसी शिकवे के अंजाम दिया। बहरहाल इसी सिलसिले में दुनिया भर में शिया शबे आशूर को मजलिस,मातम और जुलूस निकालकर कर्बला वालों को पुरसा पेश करते हैं । इसी सिलसिले में आज जहां लखनऊ में जुलूसे शबे आशूरा निकाला गया वही मुख्तलिफ शहरों के साथ साथ बाराबंकी में भी हर साल की तरह इस साल भी शाम में 9 बजे अजाखान ए मरहूम सैयद अली इमाम आब्दी , अस्करी नगर से अलम बरामद होकर अपने तयशुदा रास्ते देवा रोड से गश्त करता हुआ अजाखाना ए मरहूम कल्बे अब्बास ,लाइन पुरवा पर इख्तेताम पजीर हुआ । जुलूस से कब्ल मजलिस को जाकिरे अहलेबैत वा मशहूर न्यूरो फिजिशियन डॉक्टर असद अब्बास साहब ने खिताब किया। अलम के इख्तेताम के बाद मजलिस को जाकिरे अहलेबैत सैयद हैदर हुसैनी साहब ने खिताब फरमाया।
कल की मजलिस ए शाम ए गरीबां कर्बला सिविल लाइन बाराबंकी में नमाज़ ए मगरिबैन के बाद मुनअक्किद होगी जिसे ज़ाकिरे अहलेबैत डाक्टर असद अब्बास साहब खिताब फरमाएंगे। ये मजलिस हुसैनी चैनल पर लाइव टेलीकास्ट भी की जाएगी।