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हुसैनिया क़ायमा खातून और दरगाह हज़रत अब्बस सहित कई धर्मस्थलों में हुईं जनाबे उम्मुल बनीन की शहादत के अवसर पर मजलिसें

दरगाह हज़रत अब्बास (अस) में उठा तबूते उम्मुल बनीन

लखनऊ, संवाददाता। हज़रत अली (अस) की शरीक-ए-हयात और हज़रत अब्बास (अस) की वालिदा जनाबे उम्मुल बनीन (सअ) की शहादत के सिलसिले में आज लखनऊ की मुख़्तलिफ़ इबादतगाहों में मजलिस व मातम का इनएक़ाद किया गया ।
एक तरफ जहाँ पुराने लखनऊ में स्थित दरगाह हज़रत (अस) में आयोजित मजलिस को मौलाना अब्बास इरशाद नक़वी ने खिताब किया वहीं सज्जाद बाग़ स्थित हुसैनिया क़ायमा खातून में आयोजित मजलिस को मौलाना वसी हसन खान ने ख़िताब किया। इसके अलावा रौज़ा-ए-काज़मैन ,करबला दियानतुद्दौला ,करबला इमदाद हुसैन खान , मस्जिद वली-ए-अस्र (मुफ्तीगंज) सहित कई इबादतगाहों में मजलिसें संपन्न हुईं।

दरगाह हजरत अब्बास (अस) में आयोजित मजलिस का आग़ाज़ तिलावते कलाम ए पाक से क़ारी गुलरेज़ नक़ी ने किया । तिलावते कलामे पाक के बाद शायर-ए-अहलेबैत नय्यर मजीदी, मुख़्तार लखनवी, रजा लखनवी, ज़की भारती समेत कई शायरों ने बारगाहे उम्मुल बनीन   (सअ) में मंज़ूम नज़रानए अक़ीदत पेश किया जिसके बाद मौलाना अब्बास इरशाद नक़वी ने मजलिस को खिताब किया । बदहू मजलिस ख़वातीन ने ने उम्मुल बनीन की याद में ताबूत बरामद किया ।

उधर सज्जादबाग़ में स्थित हुसैनिया क़ायमा ख़ातून में हसन अब्बास उर्फ जूबी की जानिब से मजलिस का आग़ाज़ हुआ। मजलिस का आग़ाज़ तिलावते कलामे पाक से क़ारी नदीम नजफी ने किया । जिसके बाद मर्सिया ख्वांन औन ज़ैदी ने अपने मख़सूस अंदाज़ में मर्सिया पेश किया ।मर्सिया ख्वांनी के बाद शायरे अहलेबैत वक़ार सुल्तानपुरी, ईफ़हाम उतरौलवी, अज़ादार अज़्मी ,सलीम बलरामपुरी, जिना जफराबादी समेत कई शायरों ने बारगाहे उम्मुल बनीन में नज़रानए अक़ीदत पेश किया। जिसके बाद मौलाना ने मजलिस को ख़िताब किया।

दरगाह हज़रत अब्बास (अस) में आयोजित मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना अब्बास इरशाद ने शहज़ादी उम्मुल बनीन (सअ) की फ़ज़ीलत बयान की। उन्होंने कहा कि उम्मुल बनीन उस शुजा घराने से थीं कि जिस घराने के अलावा कोई और घराना ऐसा था ही नहीं कि जहां हज़रत अली (अस ) शादी करते। उन्होंने कहा कि हज़रत अली (अस) चाहते थे कि कर्बला के मैदान में ज़ब हुसैन अकेले हों तब कोई उनकी नुसरत कर सके ,इसीलिए उन्होंने उम्मुल बनीन से शादी की और उनसे हज़रत अब्बास (अस) ज़ुहूर मे आए।

मौलाना ने उम्मुल बनीन की फ़ज़ीलत के बाद उनकी शहादत का ज़िक्र किया जिसे सुनकर अक़ीदत मंद गिरया कुना हो गए ,इसी बीच ख्वांतीन ने उम्मुल बनीन (सअ) का ताबूत बरामद किया।

सज्जादबाग़ में स्थित हुसैनिया क़ायमा ख़ातून में आयोजित मजलिस को मौलाना वसी हसन खान ने खिताब करते हुए शहज़ादी उम्मुल बनीन (सअ) की फ़ज़ीलत बयान की।
उन्होंने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि अपनी लड़की की शादी सही वक्त पर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लड़के की शादी करते वक़्त ये देखना जरूरी है कि लड़की का घराना और ईमान कैसा है। अगर घराना और ईमान ठीक है तो औलाद नेक और बहादुर होगी वरना हालात इसके बरअक्स होंगे। उन्होंने उम्मुल बनीन के घराने को सिर्फ शुजा व बहादुर ही नहीं बताया बल्कि उन्होंने उस घराने के ईमान की भी तारीफ की।
आखिर मे मौलाना ने मसायब पढ़े । जिसे सुनकर अक़ीदत गिरया करने लगे। मजलिस के बाद अंजुमनहाए मातमी ने नौहा ख्वानी व सीना ज़नी की।

मस्जिद वली-ए-अस्र मुफ़्तीगंज में आयोजित मजलिस को मौलाना बिलाल काज़मी ने ख़िताब करते हुए कहा कि उम्मुल बनीन वो थीं जिन्होंने ज़हरा के लाल पर गिरया किया लेकिन अपने बेटे हज़रत अब्बास (अ स) पर आँसू नहीं बहाए। उनके इतना कहने पर ही अक़ीदत मंद गिराया करने लगे।
इसी तरह लखनऊ की मुख़्तलिफ़ इबादत गाहों में मजलिसों का आयोजन हुआ।

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