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हाथरस गैंगरेप मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की संस्था सुप्रीम कोर्ट पहुंची

कानून के 510 छात्रों ने मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र

लखनऊ,संवाददाता | हाथरस की दलित युवती के साथ हुए गैंगरेप के बाद उसकी निर्मम हत्या किए जाने के मामले में अभी तक जहां राजनीतिक पार्टियां प्रदर्शन कर रही थी वहीं इस मामले में अब न्याय की लड़ाई तेज होती जा रही है | सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के नेतृत्व वाली सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है | देश भर के कानून के 510 छात्रों ने भी मुख्य न्यायाधीश को इस मामले में पत्र लिखा है | इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच पीड़ित परिवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है | अर्ज़ी में लोगों से मिलने जुड़ने की पूरी छूट दिए जाने और अपनी बात खुल कर रखे जाने की मांग की गई है |

पीड़िता के साथ थी आरोपी संदीप की दोस्ती,अभियुक्तों ने कहा हम बेकसूर 

इस गैंगरेप में मुख्य आरोपी संदीप ने नई बात का खुलासा करते हुए एसपी हाथरस को एक पत्र लिखा है ,जिसमें संदीप ने दावा किया है कि पीड़िता के साथ उसकी दोस्ती थी, उसकी उससे फोन पर बात होती थी ,पीड़िता के परिवार को यह दोस्ती पसंद नहीं थी ,उसकी मौत उसके परिजनों द्वारा की गई पिटाई से हुई है | चिट्ठी में आरोपी संदीप, रामू ,रवि और लवकुश के हस्ताक्षर व उनके अंगूठे के निशान भी मौजूद हैं| आरोपियों ने पुलिस से इस मामले में निष्पक्ष जांच की गुहार लगाई है | हालांकि यह बात अलग है कि किसी के किसी से भी संबंध हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस मामले में लड़की के ही घर वाले ही शामिल थे | क्योंकि संदीप ने जो आरोप लगाए हैं ,उसमें संदीप का कहना है लड़की के माता पिता और भाई को हमारे उसकी दोस्ती अच्छी नहीं लगती थी | इस कारण उस लड़की को खुद ही इनके घर वालों ने मार दिया | यह आरोप बिल्कुल बेबुनियाद प्रतीत होता है, क्योंकि सिक्के के दूसरे पहलु को देखा जाए तो आरोपी संदीप से मृतका की दोस्ती थी | ऐसा मुमकिन है कि मृतका के साथ चारों ने गैंगरेप किया और उसके बाद उस लड़की की जबान को इसलिए काट दिया गया, रीढ़ की हड्डी को इसलिए तोड़ दिया गया कि वह लड़की इन आरोपियों के नाम कहीं उजागर न कर दे | इतनी बुरी कंडीशन होने के बाद जब उस लड़की को भर्ती कराया गया तो कोई बयान देना तो दूर, उसने वहीं अस्पताल में दम तोड़ दिया | इसलिए अभियुक्त संदीप का यह दावा , कहानी को मोड़ने के लिए एक अच्छा पहलु तो कहा जा सकता है | लेकिन इसमें सच्चाई कहीं से भी शामिल नहीं है |

पीड़िता को गरिमा के साथ मरने नहीं दिया 

इस मामले में एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई है जिसमें रात के अंधेरे में अंतिम संस्कार पर सवाल उठाया गया है | इसके अलावा देश भर के कानून के 510 छात्रों ने मुख्य न्यायाधीश को इस मामले में पत्र लिखा है | जिन 510 छात्रों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर पीड़िता के संबंध में कुछ मांग पेश की है ,उनमें रात 2:30 अंतिम संस्कार कराने का निर्देश देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है | छात्रों ने उत्तर प्रदेश पुलिस और हाथरस जिला प्रशासन की जांच सेवा नृवित्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल द्वारा कराने के निर्देश देने की प्रार्थना की है | छात्रों का कहना है कि बलात्कार की घटना इतनी आम हो गई है कि हम केवल ऐसे गिने-चुने मामलों पर ही बात करते हैं जिसमें अपराध की प्रकृति ऐसी होती है जिसमें समाज की चेतना भी होती है | पत्र में कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित परिवार को उनकी बेटी के अंतिम अंतिम संस्कार से भी वंचित कर दिया उन्हें अवैध तरीके से घर के अंदर बंद कर दिया | पत्र में कहा गया है कि ये कृत्य पीड़िता को गरिमा के साथ मरने का अधिकार छीन लेता है |पत्र में कहा गया है कि हाथरस पुलिस ने छात्रों , आम नागरिकों , में सत्ता का भय पैदा किया है | यह प्रश्न की, बहुत सारी कानून की छात्रा छात्राएं पूछ रही है कि क्या पुलिस अपराधी के लिए अपराध पूरा करने की भूमिका निभा रही है? पुलिस अपराधी के लिए अपराध करने की भूमिका निभा रही है |

इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीड़ित परिवार की तरफ से सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र कुमार ने अर्जी दाखिल की

इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीड़ित परिवार की तरफ से सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र कुमार ने एक अर्जी दाखिल की है ,जिसमें कहा गया है कि पुलिस प्रशासन की बंदिशों के चलते पीड़ित परिवार घर में क़ैद होकर रह गया है | बंदिशों के चलते तमाम लोग मिलने नहीं आ पा रहे हैं और परिवार किसी से खुलकर अपनी बात नहीं कह पा रहा | इसमें सरकारी अमले पर घर से बाहर नहीं निकलने देने का भी आरोप लगाया गया है | अर्जी में कहा गया है कि इंसाफ पाने के लिए पीड़ित परिवार के ऊपर से बंदिशें हटना जरूरी हैं |
याचिकाकर्ता सुरेंद्र कुमार का दावा है कि उन्होंने पीड़ित परिवार की तरफ से अर्जी दाखिल की है | पीड़ित परिवार ने उन्हें फोन कर उनकी अर्ज़ी दाखिल करने और इस मामले में दखल करने का निवेदन किया था | बताते चलें कि सुरेंद्र कुमार अखिल भारतीय वाल्मीकि महापंचायत के राष्ट्रीय महामंत्री हैं | यही नहीं इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के नेतृत्व वाली सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है | इस याचिका में शीर्ष अदालत से पीड़ित के अंतिम संस्कार की स्वतंत्र जांच कराने की अपील की गई है | इस मामले में एनजीओ सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस ने कोर्ट से पक्ष बनाने की अर्जी दाखिल की |
एनजीओ की ओर से दाखिल अर्जी में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस पूरे मामले की सीबीआई जांच हो | गवाहों को केंद्रीय बल की सुरक्षा दी जाए और पीड़िता का रात में दाह संस्कार कराए जाने की वजह से जांच करवाई जाए |

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