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सत्य एवं धर्म की रक्षा के लिए इमाम हुसैन ने दी कुर्बानी: मौ.सदफ जौनपुरी

अंजुमन गुंचाए मजलुमिया की शब्बेदारी शुरू

अंजुमन गुलजारे पंजतन की शब्बेदारी का समापन

लखनऊ । अंजुमन गुंचाए मजलुमिया की तीन दिवासीय आदलाइन सालाना शब्बेदारी का आगाज शुक्रवार को इमामबाड़ा अबुतालिब हसन पुरिया में हुआ। शब्बेदारी की मजलिस को मौलाना गुलाम हुसैन “सदफ जौनपुरी” ने खिताब किया। उन्होंने कहा कि सत्य एवं धर्म की रक्षा के लिए इमाम हुसैन (अ.स.) ने कर्बला के मैदान में अपनी, अपने भाईयों, मासूम बच्चों, भतीजों,भांजों आैर दोस्तों की कुर्बानी पेश की। मजलिस के बाद अंजुमन हुसैनिया कदीम,मुहिब्बाने हुसैन,शब्बीरिया,रजाए हुसैन, नासिरउल अजा,मेराजुल इस्लाम आैर गरीबुल अजा ने अंजुमन की तरहा “अजा के फर्श पे हर एक आ नहीं सकता “पर अपने सलाम पेश किये। जिसे सुनकर लोगों ने खूब दाद दी। वहीं अंजुमनों द्वारा पढ़े गये नौहों को सुनकर कर्बला के शहीदों की याद में आंसू बहाये। शब्बेदारी में आज: अंजुमन शहीदे फुरात,मेराजुल मामेनीन,तसवीरूल अजा, गुंचाए मेहदिया,नय्यरूल इस्लाम,शमशीरे हैदरी आैर मासूमिया हुसैनिया नौहाख्वानी करेंगी। अंजुमन गुलामाने हुसैन की शब्बेदारी का आयोजन इमामबाड़ा मीरन साहब में मुफ्तीगंज में किया गया। शब्बेदारी की मजलिस को मौलाना हसन जहीर ने खिताब करते हुए हजरत अली (अ.स.) की फजिलत को बयान किया। उन्होंने कहा कि हजरत रसूले खुदा (स.) ने अपने नवासे हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) लिए कहा कि हुसैन मुझसे हैं आैर मैं हुसैन से हूं। उन्होंने कहा कि आज तमाम फिरके अहलेबैत (अ.स.) के चाहने वाले हैं आैरउनका गम मनाते हैं। उन्होंने कहा कि इमाम (अ.स.) ने कुर्बानिया पेश करके कयामत तक के लिए इस्लाम को महफूज कर दिया।
अंजुमन गुलजारे पंजतन की बेल वाला टीला में चल रही सालाना शब्बेदारी में अंजुमन गुंचाए मज़लूमिया ने “या हुसैन का नारा दिल से हमको प्यारा है, कर्बला हो या जन्नत हम रहें जहां चाहे, यह भी घर हमारा है वो भी घर हमारा है”। जब यह सलाम पढ़ा तो अजादारों ने खूब दाद दी और नारे हैदरी की सदाएं गूंजने लगी। शब्बेदारी की अलविदायी मजलिस को मौलाना सदफ जौनपुरी ने खिताब किया। अंजुमन महासचिव विलायत अली, राजा खान, दिलावर हुसैन आैर सिब्तैन जैदी सहित अंजुमन के सदस्यों ने शब्बेदारी में आये सभी अजादारों का शुक्रिया अदा किया। इमामबाड़ा हैदरी मुसाहबगंज में अंजुमन गुलदस्ते हैदरी की शब्बेदारी का आयोजन किया गया। शब्बेदारी की मजलिस को मौलाना इब्राहिम हुसैन ने खिताब किया। इमामबाड़ा कनीज-ए अब्बास मेंहदीगज में खमसाए मजलिस की पहली मजलिस को मौलाना मुम्ताज जाफर ने खिताब करते हुए कहा कि हजरत अब्बास (अ.स.) हजरत अली (अ.स.) की तमन्ना थे। इमामबाड़ा सरकारे हुसैनी कश्मीरी मोहल्ला में अंजुमन मेराजुल मोमेनीन की सालाना शब्बेदारी की मजलिस को मौलाना सदफ जौनपुरी ने खिताब किया। मजलिस के बाद अंजुमनों ने नौहाख्वानी की। इमामबाड़ा फिरदौस जैदी अमरूद वाली बगिया में मौलाना बिलाल काजमी ने मजलिस को खिताब किया। मजलिस के बाद अंजुमन कायम आले इबा ने नौहाख्वानी की।
महिलाओं ने करायी ताबूत की जियारत
इमामबाड़ा अख्तर हुसैन हसन पुरिया में आयोजित महिलाओं की मजलिस को जाकिरा सदफ फातिमा ने खिताब करते हुए हजरत अब्बास (अ.स.) की फजिलत को बयान किया। मजलिस के बाद हजरत अब्बास (अ.स.) के ताबूत की जियारत करायी गयी। इस दौरान शीबा जैदी, शाबाना फातिमा, अराइश फातिमा, वजिहा फातिमा,डेजी फातिमा, कुलसूम फातिमा ने जब यह दर्दभरा नौहा “अब्बास सकीना को तमाचों से बचा लो,प्यासी है सकीना की चचा प्यास बुझा दो” पढ़ा तो अजादारों की आंखें आसुओं से छलक गयी।
मजलिस आज
इमामबाड़ा नजमुल हसन रूस्तम नगर में शनिवार को मौलाना तकी रजा नमाज-ए-मगरिब अदा करायेंगे उसके बाद मजलिस को खिताब करेंगे। मजलिस के बाद अंजुमन गुंचाए मजलुमियां, जफरूल इमान, शहीदाने कर्बला आैर फिरदौसिया नौहाख्वानी करेंगी।

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