लखनऊ, संवाददाता। हज़रत इमाम हुसैन(अ स) और उनके 71 साथियों ने कर्बला के मैदान में यजीद के चेहरे पर इस्लाम की पड़ी हुई तथाकथित नकाब को हटाने के लिए अज़ीम कुर्बानी पेश की थी । इस दर्दनाक घटना को 14 सौ वर्ष हो चुके हैं , बावजूद इसके यह ग़म आज भी पूरे संसार में मनाया जा रहा है। हालांकि हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ग़म सिर्फ शिया संप्रदाय के लोग ही नहीं बल्कि मुसलमानों के अन्य फ़िरके भी मनाते हैं। इसी ग़म के सिलसिले में मोहर्रम की शुरुआत से ही मजलिस और मातम का आयोजन शुरू हो जाता है , जबकि 10 मोहर्रम को कर्बला में हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित उनके साथियों और घरवालों की शहादत का ग़म संपूर्ण संसार में मनाया रहा है । लखनऊ को अजादारी का मरकज कहां गया है ,इसी के चलते लखनऊ में पहली मोहर्रम से आठ रबीउलअव्वल तक हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ग़म मनाया जाता है । यह रबीउल अव्वल की आखिरी तारीखें चल रही है ,इसमें जहां लोग अपने घरों पर मजलिसों का आयोजन कर रहे हैं तो वही अंजुमनहाय मातमी दस्ते अपनी-अपनी अंजुमनों की शब्द दारियों का आयोजन कर रहे हैं । इसी सिलसिले में आज लखनऊ में विभिन्न अंजुमनहाय मातमी दस्तों की शब्बेदारियों का आयोजन हो रहा है ,जिसमें लखनऊ की मशहूर अंजुमन सिराज उलअजा ,दस्ता-ए-हुसैनी और बरके हैदरी सहित कई अंजुमनों की शब्बेदरियां ऑनलाइन संपन्न कराई जा रही हैं। अंजुमन की शब्द दारियों में कोविड-19 के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए 100 लोगों से अधिक लोगों को एंट्री नहीं दी जाएगी । बाकी अकीदतमंद ऑनलाइन ही शब्बेदरियों को सुन सकेंगे ।अंजुमन सिराजुलअज़ा की शब्बेदारी का आगाज़आज शाम को 10:00 बजे कंघी वाली गली नखास में स्थित इमामबाड़ा लाडो खानम में होगा। इसके अलावा अंजुमन बरके हैदरी की शब्बेदारी कश्मीरी मोहल्ला रोड पर स्थित मलका किश्वर मस्जिद में शाम 9:30 बजे मजलिस के बाद होगा। इसके अलावा अन्जुमन रौनके दीने इस्लाम की शब्बेदारी इमाम बाड़ा नाज़िम साहब और अन्जुमन ज़फरुल ईमान की शबबेदारी रकाबगंज में स्थित अहाता कमाल जमाल में हिगी इसके अलावा अंजुमन दस्ते हुसैनी की तरही शब्बेदारी हसन पुरिया में स्थित हुसैनिया इमामबाड़े में होगी। अंजुमन दस्ते हुसैनी ने इस बार जो तरही मिसरा निकाला है वो काबे के रास्ते में हमें कर्बला मिले है ।इसमें शरीक होने वाली सभी अंजुमन हाय मातमी दस्ते इसी तरह पर अपना-अपना कलाम पेश करेंगे।