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रिटायर्ड फौजी बना रहा था एके-47 जैसे हथियार, क्राइम ब्रांच ने किया बड़ा खुलासा

लखनऊ (सवांददाता) सुरक्षा संस्थान सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो ब्रांच से रिटायर्ड फौजी व सीओडी के इंचार्ज ने धीरे-धीरे कलपुर्ज़ों की चोरी कर जहां 50 एके-47, राइफलों समेत 100 से अधिक हथियार बनाकर उन्हें बेच दिया वही अपने दायित्व को कलंकित कर लिया| हालाँकि मध्य प्रदेश की जबलपुर क्राइम ब्रांच टीम ने इस सनसनी खेज मामले का खुलासा कर दिया है| पुलिस ने इस मामले में छान बीन शुरू कर दी है| बताते चलें कि सुरक्षा संस्थान सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो ब्रांच में मरम्मत और अन्य कारणों से आए एके-47 राइफल के ही कलपुर्जे को चुराकर ये हथियार बनाकर बेचे गए हैं। इन्हें दो से चार लाख रुपये में बिहार समेत कई राज्यों में बेचा गया है। इस मामले में पुलिस के मुताबिक़ नक्सली कनेक्शन की भी जांच की जा रही है।

आपको बताते चलें कि छह साल से सीओडी इंचार्ज सुरेश ठाकुर और रिटायर्ड फौजी पुरुषोत्तम लाल तीन अन्य सीओडी कर्मियों के साथ मिलकर हथियार बेच रहे थे। दोनों आरोपितों ने हथियार बेचने की बात कबूल कर ली है। इसके बाद क्राइम ब्रांच के साथ खुफिया एजेंसियां भी सतर्क हो चुकी हैं।

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब बिहार के मुंगेर जिले में 29 अगस्त को तीन एके-47 राइफल के साथ इमरान खान नाम का तस्कर पकड़ा गया था। पूछताछ में जबलपुर का नाम आने के बाद यहां की क्राइम ब्रांच ने मुंगेर जाकर इमरान से पूछताछ की। इमरान ने जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र निवासी पुरुषोत्तम लाल से एके-47 खरीदने की बात कही। क्राइम ब्रांच ने पुरुषोत्तम को मुंगेर से गिरफ्तार कर लिया और जबलपुर ले आई। पूछताछ में पुरुषोत्तम ने एके-47 की तस्करी के नेटवर्क के साथ ही सीओडी के इंचार्ज सुरेश ठाकुर के बारे में जानकारी दी। पुलिस ने मंगलवार रात सुरेश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया। तीन अन्य सीओडी कर्मियों की तलाश की जा रही है।

पुलिस से पूछताछ के दौरान अभियुक्त सुरेश ने बताया कि उसने सीओडी के स्टोर से राइफल के कलपुर्जे निकालकर करीब 50 एके-47 राइफल व अन्य हथियार तैयार करके तस्करों को बेचे हैं। पुलिस इसकी भी जांच कर रही है|
पुलिस ने बताया कि पुरुषोत्तम 2008 में सेना से सेवानिवृत्त हुआ था और 2012 से हथियारों की तस्करी शुरू कर दी। उसके घर से कुछ संदिग्ध दस्तावेज और कुछ हथियारों के कलपुर्जे भी बरामद किए गए हैं।

गौरतलब है कि सुरक्षा संस्थान सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो ब्रांच जैसी अहम फैक्ट्री से इतनी सुरक्षा के बावजूद अभियुक्त किस तरह से धीरे-धीरे इतने विशेष कलपुर्जे निकाल कर जानलेवा असलहे तैयार कर लिए, जब्कि इन फैक्ट्रियों में सघन चेकिंग की जाती है |इस मामले में पुलिस को ऑर्डिनेंस डिपो के सुरक्षा कर्मियों की भी जांच करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे कृत्य की पुनरावृति न हो सके |

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