लखनऊ, संवाददाता । मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को उत्तर प्रदेश में नया जीवनदान देने वाले हसन कौसर रिज़वी के गत दिनों दिए गए इस्तीफे के बाद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अन्य पदाधिकारियों के इस्तीफे आने की होड़ लग गई है। इस्तीफों में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच उत्तर प्रदेश के बौद्धिक प्रकोष्ठ अवध प्रांत के सह संयोजक सैयद अहमद मियां, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच उत्तर प्रदेश अवध प्रांत के बौद्धिक प्रकोष्ठ के सह संयोजक सैयद मोहम्मद मियां जैदी और तौकीर अहमद नदवी के नाम शामिल हैं। सैयद अहमद मियां ने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि महोदय कोविड-19 एवं अपनी व्यस्ता के कारण मार्च 2020 से मैं लखनऊ से बाहर अपने गृह जनपद मुजफ्फरनगर में रहकर समाज की सेवा कर रहा हूं ,जिस कारण से मैं मंच को समय नहीं दे पा रहा हूं ।जिसका मुझे खेद है। इसलिए मैं संयोजक बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ अवध प्रांत मुस्लिम राष्ट्रीय मंच उत्तर प्रदेश के पद से त्यागपत्र दे रहा हूं । उन्होंने यह पत्र मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक रजा रिजवी के साथ-साथ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ,मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक अफजाल अहमद और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक इस्लाम अब्बास को भेजा है।
इसके अलावा सैयद मोहम्मद मियां जैदी ने भी किसी प्रकार का पत्र लिखते हुए अपने पद से त्यागपत्र दिया है। उन्होंने भी यह पत्र मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक रजा रिजवी के साथ-साथ डॉक्टर इंद्रेश कुमार, अफजाल अहमद और इस्लाम अब्बास को भेजा है। यही नहीं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच अवध प्रांत के सह संयोजक के पद पर कार्यरत तौकीर अहमद नदवी ने भी अपने पद से इस्तीफा देते हुए एक पत्र राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल ,राष्ट्रीय संयोजक इस्लाम अब्बास और राष्ट्रीय संयोजक रजा हुसैन रिजवी को भेजते हुए अपना त्यागपत्र दिया है ।
बताया जा रहा है कि हसन कौसर के इस्तीफे के बाद यह इस्तीफे दिए जा रहे हैं । ऐसे समय पर जब विधानसभा चुनाव बहुत नजदीक है ,मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के टूटने से भारतीय जनता पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है ।बताते चलें कि हसन कौसर के इस्तीफे के बाद इन इस्तीफों की झड़ी इसलिए जारी हुई है क्योंकि आरएसएस के प्रचारक डॉ इंद्रेश कुमार द्वारा हसन कौसर रिजवी का नाम शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की कमेटी में सदस्य पद हेतु दिया गया था । जिसको बाद से नाम वापस किए जाने से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच में रोष व्याप्त था। हालांकि यह रोष अंदर ही अंदर लोगों के मन में समंदर के तूफान की तरह मचल रहा था लेकिन किसी की जुबान पर नहीं आया था । हसन कौसर द्वारा इस्तीफा देते समय भी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पदाधिकारियों पर कोई व्यंग नहीं किया गया था। लेकिन अब हसन के इस्तीफे के बाद इन तीन पदाधिकारियों द्वारा एक ही भाषा का प्रयोग करते हुए दिए गए इस्तीफे से प्रतीत होता है कि सभी लोग अपनी कयादत से नाराज हैं । हसन कौसर द्वारा स्वयं अपना नाम शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की कमेटी में नहीं दिया गया था । उनके नाम को देने के बाद उनके नाम की वापसी से कहीं ना कहीं हसन कौसर की मान मर्यादा पर ठेस अवश्य लगी है । अब यदि शीर्ष नेताओं द्वारा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को बिखरने से नहीं रोका गया तो डॉक्टर इंद्रेश कुमार की वर्षों की मेहनत रायगा हो जाएगी और आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा मुसलमानों को अपने पक्ष में किए जाने की कोशिशों पर पानी फिर जाएगा।