लखनऊ, संवाददाता। शायरी के मैदान में जहाँ कसीदे, मंक़बत, सलाम और नौहों की वजह से लोगों को पहचान मिली वहीं ग़ज़लों नें भी शायरों को उरूज बख़्शा । एक वक्त था जब लखनऊ के शायरों का मुशायरों में एक अलग ही दबदबा था,लेकिन पिछले के दशकों से लखनऊ के शायरों की शिनाख़्त मुशायरों से खत्म हो चुकी है। कारण ये नहीं कि लखनऊ में शायर नहीं रहे या शायरी खत्म हो गई,बल्कि मुशायरों पर ग़ैर लखनवी शोअराए किराम का कब्ज़ा हो जाने से लखनऊ के बड़े शायरों को सियासत का शिकार होना पड़ा। लखनऊ के शायरों को उनके उस मुक़ाम तक पहुचने की ग़रज़ से आज अदबी शोआएँ अकेडमी की तशकील की गई है।इदारे के बानी सैय्यद ज़की हुसैन रिज़वी उर्फ ज़की भारती की ओर से आज सांय 5 बजे उन्हीं की रिहाइश गाह पर अकेडमी की मीटिंग संपन्न हुई। मीटिंग में तय किया गया कि इदारा हर पन्द्रह दिन पर एक मुशायरे का आयोजन करेगा। पहला मुशायरा ग़ैर तरही और उसके बाद से होने वाले मुशायरे तरही किये जाएंगे। आज की मीटिंग में इदारे के सद्र नईयर मजीदी , सेक्रेटरी सुल्तान सुरूर समेत बानी-ए-इदारा ज़की भारती और कई मिम्बरान मौजूद रहे। मीटिंग में तय किया गया कि पहला मुशायरा 7 नवम्बर 2021 को किया जाएगा।जिसमे हिन्दू,मुसलमान ,सिख और ईसाई धर्मों से शायरों को बुलाया जाएगा। जिससे एकता और इत्तेहाद को बढ़ावा मिले और लखनऊ के शायरों को फिर उसी मुक़ाम पर पहुचाया जाए जहाँ से उनको हटाया गया है। इदारे के सद्र नईयर मजीदी नें मीटिंग में कहा कि हम चाहते हैं उन शायरों के अशआर भी दुनियाँ भर में पहुचें जिन शायरों को लोग उनके नाम से जानते भी नहीं।जबकि वो बेहतरीन फ़िक्र के मालिक हैं। इदारे के सेक्रेटरी सुल्तान सुरूर नें बताया कि हर पंद्रह दिनों पर होने वाले मुशायरे में शायरों का इंतेख़ाब बदल बदल कर किया जाएगा।जिससे लखनऊ के सभी शायरों को मुशायरे में मौका मिल सके।
लखनऊ, संवाददाता।भारतीय जनता पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए निरन्तर मुसलमानों से निकटता बनाए रखने के लिए प्रयासरत फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी उत्तर...