HomeArticleभारत-चीन सीमा विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये कैसा बयान ?

भारत-चीन सीमा विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये कैसा बयान ?

ज़की भारतीय

चीन ने लगाया भारत पर उकसाने का आरोप

लखनऊ,संवाददाता |लद्दाख की गलवान घाटी में भूमि विवाद को लेकर सोमवार को हुए ख़ूनी संघर्ष के बाद उपजे भारत-चीन विवाद के मद्देनज़र मोदी सरकार ने कल सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया था ,बैठक का उद्देश्य ये था कि इस मामले में विपक्षी दलों को भी विश्वास में लिया जाए और आगे की रणनीति तय की जाए | कल आयोजित हुई सर्वदलीय बैठक में 20 पार्टियां शामिल हुई थीं | जिसकी खबर कल प्रकाशित की जा चुकी है | हालाँकि इस विवाद के मामले में प्रधानमन्त्री मोदी का कहना है कि न तो कोई उनके इलाक़े में आया और न ही भारतीय फौजें चीन की ज़मीन पर गईं, गलवान घाटी को लेकर चीन अब दावा कर रहा है कि यह चीन का ही हिस्सा है | इतना ही नहीं चीन का कहना है कि उनके सैनिक पिछले कई वर्षों से उसकी सुरक्षा में गश्त कर रहे हैं | यदि चीन की बात सही है तो अभी सेना के आए बयान ,जिसमे कहा गया था कि चीन भारतीय सीमा में घुसकर बंकर बना रहा है और सड़कों का निर्माण करवा रहा है | अगर प्रधानमन्त्री के बयान की बात की जाए कि न तो कोई मेरी सीमा में आया और न ही भारत किसी की सीमा में गया, तो क्या हमारी सेना झूठ बोल रही है ? अगर यही था तो हमारे जवानों ने चीनी सैनिकों को रोकने का प्रयास क्यों किया ? किस लिए अपने प्राण भारत पर निछावर कर दिए ? मोदी जी के इस बयान को बीबीसी ने 19 जून को अपने न्यूज़ पोर्टल पर लिखा है |

क्या कहती है ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी की एशिया सुरक्षा रिपोर्ट

बताते चले ,लद्दाख से जिस तरह अक्साई चीन को हड़पा और अब पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी पर अपना कब्जा जमाने की नापाक कोशिश कर रहा है वो चीन के लिए कोई नया काम नहीं है | सिर्फ भारत ही नहीं वह करीब दो दर्जन देशों की जमीनों पर कब्जा करना चाहता है | चीन की सीमा भले ही 14 देशों से लगती हो, लेकिन वह कम से 23 देशों की जमीन या समुद्री सीमाओं पर दावा जताता आ रहा है | यह खुलासा ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी की एशिया सुरक्षा रिपोर्ट ने किया है | चीन अब तक दूसरे देशों की 41 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि कब्जे में ले चुका है | यह वर्तमान चीन का 43 फीसदी हिस्सा है | यानी ड्रैगन ने अपनी विस्तारवादी नीति से पिछले 6-7 दशकों में अपने साइज को लगभग दोगुना कर लिया है और उसकी नियत अभी भी भरी नहीं है |

चीनी विदेश मंत्रालय का तथाकथित बयान ,गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी हिस्से में आता है

चीनी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अपने वेबसाइट पर एक प्रेस नोट जारी करते हुए दावा किया कि गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन की तरफ है | प्रेस नोट में दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की दूसरी बैठक जल्द से जल्द करवाने की बात भी कही गई है | चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने 15 जून को पूर्वी लद्दाख में हिंसक झड़प के लिए भारत पर दोष मड़ते हुए कहा, ‘गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी हिस्से में आता है | कई वर्षों से वहां चीनी सुरक्षा गार्ड गश्त कर रहे हैं और अपनी ड्यूटी निभाते हैं |

चीन ने भारतीय सेना पर लगाए आरोप

चीन ने कहा कि 15 जून की शाम को भारतीय जवान, कमांडर लेवल की बातचीत में तय किए गए एग्रीमेंट को तोड़ते हुए चीनी सीमा में घुस गए। दोनों देशों के बीच के हालात को जान-बूझकर खराब किया गया। चीनी सेना और अधिकारी जब उनसे बात करने पहुंचे तो भारतीय जवानों ने हिंसक हमला किया, जिसके बाद दोनों सेनाओं के बीच शारीरिक संघर्ष हुए और जानी नुकसान हुआ | चीन ने आगे कहा कि भारतीय जवानों ने सीमा पर उन्हें कम आंकते हुए एडवेंचर्स एक्ट किया, चीनी सैनिकों की जान को खतरे में डाला, साथ ही दो देशों के बीच सीमा समझौते का उल्लंघन किया जो दो देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का उल्लंघन है |

भारतीय सेना ने चीन को भड़काने का काम किया : चीनी विदेश मंत्रालय

चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी इस प्रेस नोट में कहा गया है कि अप्रैल-2020 से भारत एलएसी के पास गलवान घाटी में लगातार सड़क निर्माण, पुल निर्माण और अन्य गतिविधियां कर रहा है। चीन ने इन मामलों को लेकर कई बार भारत सरकार के सामने अपना विरोध प्रकट किया | इसके बावजूद भारतीय सेना बार बार सीमा पार कर उन्हें भड़काने का काम करती रही | चीन का कहना है कि 6 मई की सुबह तक, भारतीय सीमा सैनिकों ने रातों रात चीन की सीमा में घुसकर बंकर और बैरिकेड्स बना लिए थे, जिससे कि चीनी सैनिकों को पेट्रोलिंग करने से रोका जा सके |

धोखेबाज़ चीन फिर चाहता है कमांडर स्तर की बात

चीन ने आगे कहा कि दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य के माध्यम से तनाव को कम करने के लिए संवाद कर रहे हैं | क्षेत्र में हालात से निपटने के लिए कमांडर स्तर की दूसरी बैठक जल्द से जल्द होनी चाहिए | हालांकि, भारत ने एक दिन पहले ही गलवान घाटी पर चीनी सेना के संप्रभुता के दावे को खारिज कर दिया था और बीजिंग से अपनी गतिविधियां एलएसी के उस तरफ तक ही सीमित रखने को कहा था | भारत का कहना है कि इस तरह का ‘बढा चढाकर’ किया गया दावा छह जून को उच्च स्तरीय सैन्य बातचीत में बनी सहमति के खिलाफ है |

प्रधानमंत्री ने चीनी आक्रमण के बाद भारतीय क्षेत्र को आत्मसमर्पित कर दिया : राहुल गाँधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ने चीनी आक्रमण के बाद भारतीय क्षेत्र को आत्मसमर्पित कर दिया है | आपको याद दिलाते चलें, राहुल के इस बयान के एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने कहा था कि चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की है | 15-16 जून की रात को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के तक़रीबन 20 जवान शहीद हुए थे, जिसे लेकर देशवासियों में खासी नाराज़गी दिखाई दे रही थी | राहुल गांधी ने सरकार से सवाल पूछते हुए ट्वीट कर कहा, प्रधानमंत्री ने चीनी आक्रमण के बाद भारतीय क्षेत्र को आत्मसमर्पित कर दिया है। अगर भूमि चीन की थी, तो हमारे सैनिक क्यों मारे गए हैं ? वे कहां मारे गए हैं ?
प्रधानमंत्री ने पहले दिए अपने बयान में इस बात पर जोर दिया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सभी आवश्यक कदम तेज गति से उठाए जाते रहेंगे | प्रधानमंत्री ने नेताओं को सीमाओं की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों की क्षमता के बारे में आश्वस्त करते हुए कहा था कि उन्हें सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए छूट दे दी गई है |.

हिंदुस्तान और चाइना के बीच हुए ख़ूनी संघर्ष के बाद अब नेपाल के भी पर निकले

हिंदुस्तान और चाइना के बीच हुए ख़ूनी संघर्ष के बाद अब नेपाल के भी पर निकल आए हैं | वो भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है | उसने उत्तराखंड के तीन हिंदुस्तानीय क्षेत्रों पर दावा करने के बाद बिहार में पूर्वी चंपारण जिले की जमीन पर अपना दावा ठोका है |उसने सिर्फ दावा ही नहीं ठोका है, बल्कि जिले के ढाका ब्लॉक में लाल बकैया नदी पर तटबंध निर्माण का काम भी रुकवा दिया है | हैरत इस बात की है नेपाल द्वारा काम रुकवाया गया और भारत ने काम रोक भी दिया | अब इसको लेकर जिलाधिकारी कपिल अशोक ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और बिहार सरकार को सूचना देते हुए विवाद को सुलझाने का अनुरोध किया है | जिलाधिकारी ने कहा कि नेपाली अफसरों ने तटबंध के आखिरी हिस्से के निर्माण पर आपत्ति की थी जो कि सीमा के अंतिम बिंदु के पास है | इसके बाद उन्होंने नेपाल के रौतहट के अफसरों के साथ बातचीत भी की थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला सका |

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