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प्रवासी श्रमिकों से कोई बस या ट्रेन का किराया नहीं लिया जाएगा :सुप्रीम कोर्ट

पैदल घर जा रहे प्रवासी श्रमिकों का भी रक्खा जाएगा
पूरा ख्याल

ट्रेनों में रेलवे द्वारा कराया जाएगा भोजन और दिया जाए पानी

लखनऊ ,संवाददाता | भले ही केंद्र सरकार या राज्य सरकारें प्रवासी मज़दूरों के प्रति गंभीर न हों ,लेकिन अभी शीर्ष अदालत ने अपनी आँखों पर पट्टी नहीं बाँधी है | इसलिए प्रवासी मज़दूरों को हो रही परेशानियों को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी न्याय की नज़रों से देख लिया था | ट्रेनों और बसों द्वारा प्रवासी मज़दूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचवाने के सिलसिले के दौरान सरकार की कई खामियां सामने आईं थीं , इसीलिए प्वासी मजदूरों के प्रति लापरवाही के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे इन कामगारों के खराब हालात पर मंगलवार को केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने इन्हें 28 मई यानी आज जवाब देने के लिए आदेश जारी किया था। अदालत ने मामले पर सॉलिसिटर जनरल की सहायता भी मांगी थी |कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के दुर्दशा पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों से कोई बस या ट्रेन का किराया नहीं लिया जाएगा। उन्हें राज्य द्वारा भोजन प्रदान किया जाना चाहिए। ट्रेनों में रेलवे द्वारा भोजन और पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। यही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि पैदल घर जा रहे प्रवासी श्रमिकों को तुरंत आश्रय स्थलों पर ले जाया जाए और भोजन और सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएं। कोर्ट ने कहा कि वह अपने मूल स्थान पर पहुंचने के लिए प्रवासियों की कठिनाइयों से चिंतित हैं। उसने पंजीकरण, परिवहन और भोजन और पानी के प्रावधान की प्रक्रिया में कई खामियां पाई हैं। कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को दी जा रही मदद पर सभी राज्यों को 5 जून तक जवाब दाखिल कर ब्योरा देने को कहा है | हालाँकि सरकार ने शीर्ष अदालत को जानकारी दी है कि अबतक 91 लाख प्रवासियों को उनके गंत्यव्य स्थान तक पहुंचाया गया है |
बताते चलें कि मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने उस समय मजदूरों की हालत को लेकर याचिका दायर की है ,जब कोर्ट मज़दूरों के प्रति खुद संज्ञान ले चुका है |हालाँकि उन्होंने अपनी याचिका में एक नई मांग कि हैं जिसके तहत यूनिफॉर्म मंच बनाने के लिए एक दिशा-निर्देश की मांग की है, जिसका उपयोग सभी प्रवासियों द्वारा टिकट प्रणाली के लिए किया जा सके।

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