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डॉ .कल्लन का नहीं, फ़रिश्ते का हो गया इंतेक़ाल, कर्बला मलका जहाँ में होगी तद्फीन

लखनऊ ,संवाददाता | दुनिया में इस तरह से जियो कि लोग तुमसे मिलने की तमन्ना करें और बाद मरने के तुम्हें लोग याद करके रोएं | जी हाँ हज़रत अली (अ) का चाहने वाला वही होता है जो इस तरह ज़िन्दगी गुज़ारता है | यही वो लोग होते हैं जिनकी नेकियां उनके इंतेक़ाल के बाद भी इस दुनिया में उन्हें ज़िंदा रखती हैं | इन्ही सिफ़ात के मालिक लखनऊ और रुदौली में अपनी शराफत और नेकियों का डंका बजाने वाले डॉ . कल्लन का आज लखनऊ के एराज़ मेडिकल कॉलेज में लम्बी बीमारी के बाद इंतेक़ाल हो गया | मरहूम लगभग 65 बरस के थे | डॉ . कल्लन का पूरा नाम हसन रज़ा था ,लेकिन उन्हें लोग ज़्यादातर कल्लन के नाम से जानते थे | मरहूम 1980 में लखनऊ में आये तो एक ग़रीब बस्ती में अपना क्लीनिक इसलिए खोला ताकि गरीबों का इलाज वो काम से काम पैसे से कर सकें | उन्होंने ये क्लीनिक अहाता सितारा बेगम में खोला था | मरहूम रुदौली के रहने वाले थे इसलिए वहां के लोग भी इनको बहुत प्यार करते थे | अहाता सितारा बेगम में मतब के बावजूद इन्होने दूसरा क्लीनिक हुसैनाबाद ढाल पर खोला, जिसे धीरे धीरे नर्सिंग होम बना दिया | लेकिन पुराने क्लीनिक को आज तक बंद नहीं किया था ,गरीबों के लिए वो शाम को पुराने क्लिनिक पर ज़रूर बैठते थे | नर्सिंग होम में भी मरीज़ों से मुनासिब चार्जेज़ लेते थे |अगर शुरू में एहसास हुआ कि मरीज़ का बेहतर इलाज अन्य किसी जगह हो सकता है तो वहीं के लिये सिफ़ारिश करते थे, साथ ही एक सिफारशी ख़त भी लिखते थे। एक मरीज़ का कहना है कि कई बरस से अपने परिवार का इलाज करवा रहे हैं , उनका कहना है कि हमने ख़ुद देखा है कि ग़रीब मरीज़ों से चार्ज लेना तो दूर अपने पास से पैसे से मदद करते थे। शायद ऐसे ही डॉक्टरों को मसीहा कहा जाता है |

मरहूम डॉ. कल्लन की तारीफ करते करते मैं लिखते लिखते थक सकता हूँ लेकिन उनकी मुकम्मल तारीफ भिर भी बयां नहीं की जा सकती | बहरहाल डॉ .कल्लन तो इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन अपने अख़लाक़ और लोगों की बेलौस खिदमत की वजह से वो हमेश ज़िन्दाँ रहेगें | यहीं नहीं उन्होंने बहोत से लोगों को ज़िन्दगी जीने का दर्स भी दे दिया है |जानकारी के मुताबिक़ डॉ . कल्लन की मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई है ,हालाँकि उनकी तबियत में काफी सुधार हो चुका था लेकिन मौत तो एक बहाना है |
मरहूम के पस्मंदगान में तीन फ़रज़न्द , एक दुख्तर और उनकी अहलिया मौजूद हैं |
खबर लिखे जाने तक मरहूम डॉ . कल्लन का जनाज़ा एरा मेडिकल कॉलेज से नहीं मिल सका है | इत्तिला के मुताबिक़ मरहूम का जनाज़ा देर रात को मिलेगा ,जिसके बाद  ऐशबाग में वाक़ेह कर्बला मलका जहाँ में मरहूम को सुपुर्दे खाक किया जाएगा |

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