सहारनपुर। देवबंद में आयोजित जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन जहाँ मुल्क के हालात और मुस्लिमों की स्थिति पर चर्चा हुई वहीं आज दूसरे और अंतिम दिन भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मंच से मौलाना महमूद मदनी ने अपना दर्द बयान किया। आज दूसरे और अंतिम दिन पहले से तय विषय ज्ञानवापी और मथुरा पर चर्चा हुई।
सहारनपुर के देवबंद में आयोजित जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सम्मेलन में आज 25 राज्यों के करीब पंद्रह सौ उलमा मौजूद थे। आज ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा शाही ईदगाह विवाद सहित देश के कानून, कॉमन सिविल कोड और इस्लामी शिक्षा पर मंथन किया गया । चर्चा के बाद सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया।
देवबंद में जमीयत के सम्मेलन का दूसरे दिन, ज्ञानवापी और मथुरा मुद्दे को लेकर मदनी के तीखे तेवर देखने को मिले।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जनरल सेक्रेट्री मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि आज दूसरे दिन कुल पांच प्रस्ताव रखे गए। उन्होंने बताया कि पहला प्रस्ताव देश के कानून को लेकर पारित हुआ है। इसी प्रस्ताव के तहत कॉमन सिविल कोड पर भी चर्चा हुई। जबकि दूसरा प्रस्ताव ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर था। ये मामले अदालत में विचाराधीन हैं।
देवबंद में आयोजित जमीयत उलेमा हिंद के सम्मेलन में आज फिर रो दिए मौलाना महमूद
देवबंद में चल रहे जमीयत उलेमा-ए हिंद के राष्ट्रीय सम्मेलन में मुस्लिमों से जुड़ीं राजनीतिक-सामाजिक और धार्मिक चुनौतियों पर चर्चा हुई । इस संगठन के दो गुटों में एक बार फिर से आपसी तालमेल देखने को मिला । एक गुट मौलाना अरशद मदनी का है तो दूसरा मौलाना महमूद मदनी का। सम्मेलन मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में संपन्न हुई । इस दौरान मौलाना अरशद मदनी नें दोनों गुटों के एक होने के संकेत दिए हैं।