HomeENTERTAINMENT.......जहाँ कमसिन शायर भी कहते हैं ऐसी ग़ज़लें

…….जहाँ कमसिन शायर भी कहते हैं ऐसी ग़ज़लें

हमारे चैनल के ज़रिये दुबारा ग़ज़ल का कॉलम शुरू करने पर पाठकों नें जो रुचि दिखाई है वो सराहनीय है। शायरों ने भी अपनी ग़ज़लों को भेजने का सिलसिला शुरू कर दिया है । जिससे हमारी कोशिश को ताक़त मिली है।आज जिस कमसिन शायर की ग़ज़ल पेश की जा रही है वो उम्र में कमसिन है मगर शायरी में बड़ी फिक्र का मालिक है।

जनाब फरमान लखनवी साहब

ग़ज़ल

आइना जब कोई पत्थर से मोहब्बत कर ले!
यूँ समझ लीजिये दुनिया से अदावत कर ले!!

झूठे वादों में न उलझाओ मुझे जानेमन!
लाख बेहतर है मोहब्बत से सियासत कर ले!!

संग दिल लोगों की आँखों में उबलता है लहू!
आइना गर कोई पत्थर प हुकूमत कर ले!!

जिस जगह प्यार में शामिल न हो इज़्ज़त का मज़ा!
उस जगह रुकने से बेहतर है कि हिजरत कर ले!!

सच कभी झूठ में तब्दील नहीं होता है!
चाहे जितनी भी कोई लाख जिहालत कर ले!!

अब तो “फ़रमान” ज़माने के ये हालात हुए!
बोल कर सच कोई सर अपने मुसीबत कर ले!!

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