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खतरा बरक़रार:वैक्सीन की दोनों ख़ुराकें लेने वाला डेल्टा वेरिएंट कर सकता है आपको प्रभावित

लखनऊ, संवाददाता । भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर अभी पूरी तरह से थमा भी नहीं है और रोज़ नए अध्ययनों में ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं जिसमें लोगों में इसकी दहशत बढ़ती जा रही है । एक नए अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट पर वैक्सीन असर नहीं कर रही है।
दिल्ली में स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने अलग-अलग एक अध्ययन किया है । इसके मुताबिक भारत में गत अक्टूबर में कोरोना वायरस का एक वेरीएंट सामने आया था जिसे विश्व स्वास्थ संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा नाम दिया है । इस डेल्टा वेरिएंट पर भारत की दोनों वैक्सीन को (कोविशिल्डऔर कोवैक्सिंग) की दोनों को खुराकें असरकारक नहीं है। इसका मतलब यह कि किसी भी व्यक्ति की दोनों वैक्सीन लेने के बाद भी आप इस डेल्टा वेरीएंट के संक्रमण से बच नहीं सकते हैं।

डेल्टा वेरिएंट की वजह से दूसरी लहर में बरपा है क़हर

हालांकि दोनों ही संस्थानों एम्स और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अध्ययनों की समीक्षा अभी तक नहीं हुई है। मगर एम्स की ओर से यह किये गए अध्ययन के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट ब्रिटेन में पाए गए अल्फा वेरिएंट के मुकाबले 40 से 50 प्रतिशत तक ज्यादा संक्रामक है। भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बढ़ते केसों की वजह भी यही वेरिएंट है ।

अल्फा की जगह डेल्टा से संक्रमण का खतरा अधिक

वैसे भारत में डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) के कारण टीका लगने के बाद भी संक्रमण के सामने आए । यह दोनों ही वैक्सीन कोविशिल्ड या कोवैक्सीन के साथ हुआ है । एम्स और नेशनल सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल के अलग-अलग अध्ययनों में सामने आया कि डेल्टा वेरिएंट दोनों वैक्सिंग की दोनों डोज़ लगवा चुके लोगों को संक्रमित करने में सक्षम है। ऐम्स और सीएसआई आर आईजीआईबी ने अध्ययन में देखा कि कोवैक्सीन और कोविफील्ड का टीका लगवाए लोगों में अल्फा और डेल्टा दोनों ही वेरिएंट से संक्रमण हुआ । हालांकि डेल्टा के संक्रमण का खतरा अधिक है । संक्रमण से पीड़ित 63 लोगों पर अध्ययन एम्स और सीएसआईआर आईजीआईबी के अध्ययन में 63 संक्रमण के लक्षण वाले मरीजों की स्थिति पर विस्तार से रिपोर्ट की गई है। इसमें 5 से 7 दिन से तेज बुखार की शिकायत के बाद इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किए गए इन 63 लोगों में 53 लोगों को कोवैक्सीन और 10 को कोविशिल्ड की खुराक दी गई थी। वहीं इनमें 36 लोग ऐसे थे जिन्हें वैक्सीन की दोनों ख़ुराक दी गई थी । डेल्टा वेरिएंट संक्रमण के 76 .9 प्रतिशत केस ऐसे में लोगों में दर्ज हुए जिन्हें वैक्सीन की एक खुराक दी गई थी। वही दोनों खुराक लेने वाले 60 प्रतिशत लोग संक्रमित हुए।

कोविशिल्ड पर डेल्टा वेरिएंट भारी

अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि कोविशिल्ड और कोवैक्सिंग संक्रमण के अल्फा वेरिएंट से बचाव कर रही है मगर उस तरफ नहीं जिस तरह भारत में पहली लहर में पाए गए केस के समय हुआ था । दोनों ही अध्ययनों ने यह भी संकेत दे दिए हैं कि वैक्सीन डेल्टाऔर यहां तक कि अल्फा से सुरक्षा कम हो सकती है। हालांकि हर मामले में संक्रमण की गंभीरता के प्रभाव पर इसका कोई असर नहीं पड़ता ।
वैसे यह अध्ययनों में ही सामने आया है और फिलहाल वैज्ञानिकों के सिर्फ विचार में है और इसका कोई प्रमाणिक सबूत सामने नहीं आया है कि इस वेरिएंट से ही ज्यादा लोगों की मौत हुई । वही अध्ययन से ये स्पष्ट जरूर होता है कि कोवैक्सीन डेल्टा और बीटा दोनों ही वेरिएंट वसे सुरक्षा करती हैं। बताते चलें कि बीटा वेरिएंट पहली बार साउथ अफ्रीका में मिला था।

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