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क्या गोमूत्र और गोबर से कोविड-19 का इलाज संभव ?

ज़की भारती

लखनऊ ,संवाददाता | कोविड-19 का इलाज गोमूत्र और गोबर से संभव है | ये आपको मानना ही होगा| यदि आप इसके विरुद्ध बोले तो संभव है कि आप पर दो समूहों के बीच धार्मिक और जातीय आधार पर नफरत फैलाने का आरोप लगाकर आपको जेल की सलाखों के पीछे डलवा दिया जाए | कोविड-19 के लिए भले ही डॉक्टर आपसे कुछ कहें, कोई भी दवा बताएं लेकिन आपको ये मानना ही होगा कि गोमूत्र और गोबर कोरोना का रामबाण इलाज है |
आप सोच रहे होंगे कि बिना तर्क और बिना चिकित्सक की राय के ये कैसे मुमकिन हो सकता है | तो हम आपको बताते चलें कि मणिपुर पुलिस ने इसी तरह की बात का विरोध करने वाले एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत केस दर्ज किया है,यही नहीं जिसके बाद उन्हें बिना मुकदमे के ही एक साल तक हिरासत में रहना होगा |

इन्होने कहा था कोविड -19 का इलाज गोमूत्र और गोबर से नहीं हो सकता

इन दोनों पर मुकदमा इसलिए दर्ज किया गया है कि उन्होंने मणिपुर बीजेपी के नेता टिकेंद्र सिंह की कोरोना से मौत के बाद फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी,जिसमे उन्होंने लिखा था कि कोविड-19 का इलाज गोमूत्र और गोबर से नहीं हो सकता | इस पोस्ट के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और देशद्रोह का चार्ज लगाया| बताते चले कि इस समय मणिपुर में बीजेपी की सरकार है |

गिरफ्तारी के दौरान पत्रकार पर किया पुलिस ने हमला

सामाजिक कार्यकर्ता एर्नड्रो एरेंड्रो लिचोम्बम और पत्रकार किशोरचंद्र पर फेसबुक की पोस्ट के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया गया था | दोनों आरोपियों के वकील विक्टर चोंगथम का कहना है कि उनके क्लाइंट्स पर जमानत के लिए कोर्ट में औपचारिकता पूरी होने से पहले ही NSA लगा दिया गया | उन्होंने बताया कि दोनों का बेल बॉन्ड राशि भी भरी जा चुका थी और बेल के पेपर्स का इंतजार हो रहा था, इसी बीच पुलिस ने उन पर NSA लगा दिया | उन्होंने बताया कि कुछ बीजेपी नेताओं ने भी उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है | उन्होंने मामले में मणिपुर हाईकोर्ट जाने के भी संकेत दिए हैं | चोंगथम ने ये भी कहा कि गिरफ्तारी के दौरान उनके क्लाइंट पत्रकार किशोरचंद्र पर पुलिस ने हमला किया और लिचोम्बम की मां को धक्का दिया | पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम की पत्नी ने भी उनके पति के साथ मारपीट का आरोप लगाया |

पुलिस सुपरिटेंडेंट का बयान

इम्फाल वेस्ट के पुलिस सुपरिटेंडेंट के. मेघचंद्र सिंह ने बताया है कि दोनों ही आरोपियों को IPC की धारा 153 ए के तहत गिरफ्तार किया गया है | उन पर दो समूहों के बीच धार्मिक और जातीय आधार पर नफरत फैलाने का आरोप है| उन्होंने बताया कि सोमवार को उन पर NSA लगाया गया है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उनकी पेशी के बाद उन्हें 4 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है | इस वक्त दोनों इम्फाल जेल में हैं | इंडियन पीनल कोड में धारा 153 ए के तहत अधिकतम 5 साल की जेल का प्रावधान है |

जानिए लिचोम्बम और वांगखेम के बारे में

लिचोम्बम वर्ल्ड बैंक और यूनाइटेड नेशंस डेवलेपमेंट प्रोग्राम में काम कर चुके हैं और पिछले साल जुलाई में उन्हें फेसबुक पोस्ट की वजह से गिरफ्तार होना पड़ा था, फिर जमानत पर वह छूट गए थे | उन्होंने कुछ साल पहले पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलायंस नामक एक राजनीतिक दल का गठन किया था |मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने भी इसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था |

किशोरचंद्र वांगखेम एक जाने-माने टीवी पत्रकार हैं ,जिन्हें नवंबर 2018 में भी गिरफ्तार किया जा चुका है,उस समय उन्होंने सोशल मीडिया पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सरकार की आलोचना करते हुए एक वीडियो डाला था | तब भी उन पर अप्रैल 2019 में रिहाई से पहले NSA लगाया गया था | 6 महीने तक जेल में रहने के बाद उन्हें फिर सितंबर 2020 में ही एक फेसबुक पोस्ट की वजह से गिरफ्तार होना पड़ा था |

 

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