HomeWORLDक्या कृषि क़ानून का जिन वापिस बोतल में जाएगा ?

क्या कृषि क़ानून का जिन वापिस बोतल में जाएगा ?

किसानों के विरोध प्रदर्शन की चिंगारी कनाडे के बाद ब्रिटेन तक पहुंची

लखनऊ,संवाददाता | भारत में चल जारी कृषि क़ानून के विरुद्ध किसानों के विरोध प्रदर्शन की चिंगारी कनाडे के बाद ब्रिटेन तक पहुंच गई हैं | सरकार द्वारा किसानों पर थोपे गए तीन कृषि कानूनों के संबंध में यह विरोध हो रहा है। किसानों द्वारा राजधानी दिल्ली का ये विरोध विदेशों में भी देखने को मिल रहा है। यहां तक की कनाडा देश ने भारत के इस आंतरिक मामले में हस्ताक्षेप किया है ।अब यहाँ ब्रिटेन से भी किसानों के पक्ष में आवाज उठने लगी है।
पिछले 10 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों के प्रतिनिधिमंडल व केंद्र के बीच विज्ञान भवन में पांचवें दौर की वार्ता शुरू हो गई है। इसमें किसानों की ओर से 40 प्रतिनिधि व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्‍य मंत्री पीयूष गोयल के अलावा पंजाब से सांसद व राज्‍य वित्‍त मंत्री सोम प्रकाश व कृषि मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल हैं। ये किसान संसद के मानसून सत्र में पारित तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं। किसानों ने यहां तक कहा है कि वे इसमें संशोधन नहीं बल्‍कि पूरी तरह वापसी चाहते हैं।जबकि कृषि मंत्री ने किसानों के सामने तस्वीर साफ़ करते हुए कह दिया है कि क़ानून में संशोधन तो संभव है लेकिन क़ानून वापस नहीं लिया जा सकता |

उधर बैठक में जारी चर्चा के दौरान किसान कानून को रद करने की मांग पर अड़ गए हैं और सरकार की ओर से कानूनों में संशोधन का प्रस्‍ताव दिया गया जिसे किसानों की ओर से ठुकरा दिया गया। ऐसे हालात में इस प्रकरण का कोई रास्ता फिलहाल नहीं दिखाई दे रहा   है |
अब तो किसान की ओर से बैठक में शामिल प्रतिनिधिमंडल ने यहाँ तक कह दिया है कि इस मामले में काफी चर्चा हो गई है ,हमें लिखित जवाब चाहिए है ।

यही नहीं भारत में जारी किसान आंदोलन के समर्थन में ब्रिटेने के 36 सासंद सामने आए हैं। वहां की लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी के नेतृत्व में 36 ब्रिटिश सांसदों ने राष्ट्रमंडल सचिव डोमिनिक राब को चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि वे अपने समकक्ष भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ भारत में नए कृषि कानूनों के विरुद्ध किसानों के प्रदर्शनों पर अपडेट लें। कहा गया है कि भारत में प्रदर्शन से यहां के पंजाबियों में भी आक्रोश है और वे प्रभावित हो रहे हैं। भारत सरकार द्वारा यहां के ब्रिटिश पंजाबियों के साथ भी बातचीत करनी चाहिए।

शुक्रवार को जारी किए गए इस पत्र को ब्रिटिश सिख लेबर सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने ड्राफ्ट किया है और इस पर लैबर की सीमा मल्होत्रा, वीरेंद्र शर्मा और वैलेरी वाज के साथ-साथ अन्य लेबर लीडर जेरेमी कॉर्बिन सहित अन्य भारतीय मूल के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। वहीं, भारत ने किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन पर विदेशी नेताओं और राजनेताओं द्वारा की गई टिप्पणी को शायद इसलिए ग़लत क़रार दिया है क्योंकि लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित कोई टिप्पणी मान्य नहीं होती है |

सांसदों के पत्र में मंत्री से आग्रह है कि वे पंजाब में बिगड़ती स्थिति पर चर्चा करने के लिए उनके साथ एक तत्काल बैठक करें। कहा गया कि यह ब्रिटेन में सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय है, हालांकि यह अन्य भारतीय राज्यों पर भी भारी पड़ता है। कई ब्रिटिश सिखों और पंजाबियों ने अपने सांसदों के साथ इस मामले को उठाया, क्योंकि वे पंजाब में परिवार के सदस्यों और पैतृक भूमि से सीधे प्रभावित हैं। तनमनजीत सिंह ने कहा कि पिछले महीने कई सांसदों ने आपको और लंदन में भारतीय उच्चायोग को किसानों और जो खेती पर निर्भर हैं उनके शोषण को लेकर तीन नए भारतीय कानूनों के प्रभावों के बारे में लिखा था |

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