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क्या इक़बाल अंसारी का क़द भाजपा के शीर्ष नेताओं से भी बड़ा है ?

ज़की भारतीय

इक़बाल अंसारी बनाम भाजपाई शीर्ष नेता

लखनऊ ,संवाददात | राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के लिए बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को न्योता मिलना उनके परिश्रम का फल है | हालाँकि इक़बाल अंसारी बाबरी मस्जिद के पक्षकार थे न कि मंदिर के | सोचने की बात ये है कि आखिर उन्होंने राम मंदिर के लिए ऐसा क्या कर दिया कि उनको भूमि पूजन के लिए निमंत्रण दिया गया | अगर कोई अंदरूनी बात है तो उसकी जानकारी मुझे नहीं है | लेकिन ये ज़रूर है कि आज अयोध्या में जो भूमि पूजन होने जा रहा है या कल भव्य मंदिर का निर्माण होगा तो उसका श्रेय सर्वोच्च न्यायालय को जाता है ,जिसने रात दिन इस प्रकरण को अंजाम तक पहुंचने के लिए बहस सुनी और ऐसा फैसला किया जिसकी किसी को उम्मीद भी नहीं थी | क्या इक़बाल अंसारी का क़द लाल कृष्ण आडवाणी ,मुरली मनोहर जोशी या उमा भारती से बड़ा है ? आखिर सिर्फ इक़बाल अंसारी में ऐसी क्या बात थी ? लेकिन कोरोना काल के ऐसे समय में जहाँ उन महारथियों को न्योता नहीं दिया गया, जिन्होंने रथ यात्रा निकाली ,गिरफ्तार हुए ,कार सेवा की ,मस्जिद को गिरवाने में मुख्य किरदार निभाया इसके उपरांत भी वो अदालत में बयान दर्ज करवाते रहे | जी हाँ आप समझ गए होंगे कि मेरा इशारा किसकी तरफ है |अभी जल्द ही उमा भारती का एक बयान सोशल मिडिया पर वायरल हुआ है जिसमे उनका दर्द मीडिया के समक्ष छलक गया ,”उन्होंने ने कहा कि राम का नाम ,अयोध्या भाजपा की बभौतियाँ नहीं हैं | उन्होंने कहा कि हमारा अंत होना है लेकिन राम के नाम का कभी अंत नहीं होना है | उन्होंने कहा कि राम सिर्फ भाजपा के नहीं हैं ,राम में जो आस्था रखता है ,चाहे वो किसी भी पार्टी का क्यों न हो , वो सब अधिकार रखते है कि इस मामले में अपनी बात रखें | उस अधिकार को रोकने का अगर हम अहंकार पाल लेंगें कि राम उनके पेटेंट हैं ,तो हम भूल रहे हैं कि हमारा अंत होना है राम का नहीं | अधिकार मुक़दमों में देखा गया है कि जब आदेश अदालत देती है और हमें इन्साफ मिलता है तो हम अपने विरोधी से प्रसन्न नहीं होते बल्कि हम उस विरोधी से प्रसन्न होते हैं जो अपना केस वापिस लेकर क्षमा मांगकर गले से लगा लेता है | लेकिन इक़बाल अंसारी ने सामने से तो ऐसा कुछ भी नहीं किया , फिर इक़बाल अंसारी का इतना आदर और सत्कार क्यों ? बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे अंसारी ने कहा कि राम मंदिर बन रहा है अयोध्या के लिए सबसे खुशी की बात है. | सवाल ये है कि ये मानसिकता उस समय क्यों उजागर नहीं हुई जब राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ सहित कई बुद्धजीवियों द्वारा बातचीत से इसके हल का रास्ता ढूंढा जा रहा था | आज अंसारी द्वारा दिए जा रहे इस बयान को क्या समझा जाए ?
बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि मस्जिद के लिए जमीन मिली है लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिली है | उसे जो करना होगा करेगा 70 वर्षों से लोग सियासत कर रहे थे, हिंदू मुस्लिम के नाम पर लड़ाई करवा रहे थे | हालाँकि वो भूल गए कि उनसे पहले उनके पिता बाबरी मस्जिद का मुक़दमा लड़ रहे थे |

मुस्लिम पक्षकार अंसारी ने राम मंदिर की नींव रखने की रस्म में शामिल होने का निमंत्रण मिलते ही कहा कि मेरा मानना ​​है कि यह भगवान राम की इच्छा थी कि मुझे पहला निमंत्रण मिले, मैं इसे स्वीकार करता हूं | बता दें कि पिता हाशिम अंसारी के बाद मो. इकबाल ने अदालत में मस्जिद की पैरोकारी की थी | वर्ष 2010 में हाईकोर्ट का निर्णय आने के पूर्व मंदिर-मस्जिद रार चरम पर थी, तब हाशिम ने सीना ठोक कर कहा कि वह कोर्ट का हर निर्णय मानेंगे. भले ही फैसला रामलला के हक में आये | हालाँकि अंसारी ने निमंत्रण मिलने का श्रय भगवन राम को दिया है जो एक मुसलमान के लिए उसके अल्लाह के होते ये कहना वाक़ई एक बड़ी बात है |

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