HomeArticleकिसी की हो सरकार, शिक्षित हैं बेकार

किसी की हो सरकार, शिक्षित हैं बेकार

और सरकारों जैसी हैं भाजपा सरकार

(मुर्तज़ा रिज़वी)

लखनऊ, 2 अगस्त | 60 हजार करोड़ की 81 परियोजनाओं का अभी 29 जुलाई को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यशाला का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिलान्यास किया था| देश को तरक्की के शिखर पर ले जाने वाले मोदी ने कहा था कि ये ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी नहीं रिकार्ड ब्रेकिंग सेरेमनी हैं| उन्होंने कहा था कि इतने कम समय में इतना बड़ा निवेश कोई छोटी बात नहीं| हालाँकि इस निवेश के बावत समाजवादी पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ-साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने भी जबानी प्रहार किये थे| कहने का तात्पर्य ये हैं कि आज हर दल अच्छे कार्यों का सेहरा अपने सर बांधना चाहता हैं , लेकिन सरकार केअधूरे वायदे, कानून व्यवस्था, सड़क की बेहाली, जल भराव, सड़क पर अवैध कब्जों , जाम और ख़राब यातायात व्यवस्था की जिम्मेदारी कोई भी सरकार लेते हुए नज़र नहीं आती हैं| कानून व्यवस्था पर अकुंश लगाने में जिस तरह पूर्व सरकारे नाकाम रही ठीक उसी तरह मौजूदा भाजपा सरकार भी नाकाम साबित हुई हैं| मेरा उद्देशय न ही किसी सरकार की पैरवी अथार्त पक्ष करने का हैं और न ही किसी सरकार पर बेवजह आरोप लगाने का | क्योकि हम समाज को दर्पण दिखाने का काम करते हैं| आज आम जनमानस को आवश्यकता हैं अच्छे और सस्ते स्कूल और कालिजों की, आज जरुरत हैं शिक्षित लोगो को नौकरी और व्यवसाय की, आज जरुरत हैं निर्धन लोगो को दो वक़्त की रोटी की, आज जरुरत हैं सही यातायात व्यवस्था की, आज जरुरत हैं भयमुक्त समाज की, आज आवश्यकता हैं लोगो को न्याय की, आज जरुरत हैं निर्धन मरीज को इलाज की मगर सरकारी अस्पतालों में क्या हो रहा हैं, क्या सरकार जानती हैं| किस परिक्षम से निर्धन लोग अपने बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं क्या सरकार जानती हैं, क्या निजी स्कूलों की मनमानी फ़ीस पर लगाम लग सकी |क्या लोगो की भूख से मौत होना ख़त्म हो गई , क्या महिलाओं के साथ रेप होना बंद हो गए| क्या बेहाल सड़के ठीक हो गई| क्या जनता को जाम से निजात मिल गई | क्या लोगो को पुलिस न्याय दिलवाने लगी| अगर नहीं तो पिछली सरकारों में और आज की भाजपा सरकार में क्या कोई अंतर हैं ? आज भाजपा का ये नारा ‘सबका साथ सबका विकास’ अभी तक चरितार्थ होते हुए नहीं दिखाई दे रहा हैं| मॅहगाई चरम सीमा पर हैं डीजल, पैट्रोल और रसोई गैस के दामों में निरंतर इज़ाफ़ा होता जा रहा हैं| प्रधानमंत्री ने जनधन योजना के अंतर्गत निर्धन लोगो के खाते तो खुलवा लिए , लेकिन अपने किये वादे पर वो अभी तक खरे नहीं उतरे| आज भी निर्धन लोग अपने खातों में रूपए आने की आशा लिए, मोदी जी की हर रैली और उद्धघाटन समारोह के सम्बोधन को सुनते हुए नजर आ रहे हैं कि शायद कही खातों में रुपये डालने का वादा पूरा करने कि घोषड़ा कर दें| विदेशों से काला धन भी नहीं ला सके| बल्कि अब तो विदेश मंत्री ये कह रहे हैं कि सिव्स बैंक में सभी काला धन नहीं हैं

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