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इंस्पेक्टर चौक कर रहे हैं न्यायधीश बनकर फैसले

जकी भारतिया

इंस्पेक्टर चौक कर रहे हैं न्यायधीश बनकर फैसले

लखनऊ। अगर कोई ऐसी घटना घटित होती है की जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट पीड़ित दर्ज करवाना चाहता है तो पुलिस की ये जिम्मेदारी बनती है की वो प्राथमिकी दर्ज करे। लेकिन देखने को मिला है कि अधिकतर पीड़ितो की एफआईआर पुलिस दर्ज नहीं करती है । इसका मुख्य कारण ये है की पुलिस अपने अधिकारियों की नजरों में अच्छा बना रहना चाहती है। और ये साबित करने का प्रयास करती है कि उसके क्षेत्र में अपराधिक ग्राफ निचले स्तर पर है। यही कारण है कि पीड़ितों को न्याय नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जो भय मुक्त समाज का सपना है उसे पुलिस तोड़ने का काम बखूबी निभा रही है। पुलिस अपनी शह पर जहां सट्टा चलवा रही है, मोटी मोटी रकमे लेकर अतिक्रमण करवा रही है, रिश्वत लेकर भूमियों पर भूमाफियाओं का कब्ज़ा करवा रही है वहीं विवादित भवनों पर भी गुंडों द्वारा कब्जा करवाने का अवसर भी नहीं गवा रही है। ऐसा ही एक मामला चौक पुलिस का संज्ञान में आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भवन संख्या 231/55 बाग मक्का के रहने वालीं वृद्ध रानी बेगम ने अपने बयान में बताया कि जिसमे वो निवास कर रहे हैं वो 560 वर्ग फुट की भूमि पर निर्मित भवन है। उन्होंने बताया कि ये भवन उनको उनकी बहन वकार जहां पत्नी जफर हुसैन से मिला था। उन्होने आरोप लगाया कि पड़ोस के रहने वाले ताहिर हसन उर्फ जन्नू, कमाल हसन,अली हसन, इकबाल हसन सहित कई अन्य लोग शुरू से ही मेरे भवन पर कब्जा करना चाह रहे थे।इसी के चलते इन लोगों ने मेरे भवन की एक ऐसी महिला से रजिस्ट्री करवा ली जिनका दूर दूर तक मेरी संपत्ति से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने बताया कि जफर हुसैन ने दो शादियां की थीं एक वकार जहां से और दूसरी निशात फातिमा से । वकार जहां की मैं अकेली बहन थी। और वकार जहां ने संपत्ति को खुद क्रय किया था ।
रानी बेगम की मानें तो वकार जहां ने अपनी संपत्ति रानी बेगम को जबानी हिबा के माध्यम से दी थी।
गौरतलब है, जो लोग रानी बेगम के भवन पर कब्जा करना चाह रहे हैं उन्होंने रानी बेगम की बहन वकार जहां की सौत निशात फातेमा से रजिस्ट्री करवाई है। जबकि वकार जहां ने अपनी सौत निशात फातेमा को अपनी संपत्ति नहीं दी थी तो आखिर किस आधार पर ये फर्जी रजिस्ट्री करवाकर एक वृद्ध से उसका भवन खाली करवाने पर इंस्पेक्टर चौक अमादा है। यही नहीं कानून व्यवस्था के रखवाले इन्स्पेक्टर चौक अब खुद कानून व्यवस्था को पटरी से उतारने पर आमादा होकर सिविल मामलों में न्यायधीश बनकर अनाप शनाप फैसले कर रहे हैं।

योगी के राज्य में उड़ाई जा रही हैं कानून की धज्जियां

31 दिसम्बर 2022 को दोपहर 12 बजे भवन संख्या 231/55 बाग मक्का कोतवाली चौक निवासी 80 वर्षीय रानी बेगम के भवन पर उनके पड़ोसी जन्नु व उनके अन्य साथियों ने अवैध कब्जे का प्रयास पुलिस की मौजूदगी में किया और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। पीड़िता के पास इस घटना की वीडीओ रिकॉर्डिंग भी मौजूद है। दबंगों द्वारा छत के ऊपर की दीवार को जब तोड़कर कब्जा किया जाने लगा तो पीड़ित पक्ष ने इस मामले की सूचना पुलिस को दी थी लेकिन पुलिस पहले तो यही चाहती रही की दबंगों का कब्जा हो जाए लेकिन मोहल्ले में बढ़ती भीड़ को देखकर पुलिस दोनों पक्षों को चौक कोतवाली ले आई।
यहां इंस्पेक्टर चौक ने जिस प्रकार दूसरे पक्ष की हिमायत की और पीड़िता रानी बेगम को डराया धमकाया उससे जाहिर होने लगा कि इंस्पेक्टर चौक ने सुविधा शुल्क के नाम पर लंबी रकम ले ली है। रानी बेगम की मानें तो इंस्पेक्टर चौक ने उनसे  बोला कि तुम लोग सौ वर्ग फुट जगह ले लो और बाकी की जगह छोड़ दो वरना जेल जाने को तय्यार रहो।
पीड़िता रानी बेगम ने इंस्पेक्टर को बताया कि जननू जिस रजिस्ट्री को दिखाकर पुलिस को गुमराह कर रहे हैं वो रजिस्ट्री फर्जी है और इसी प्रकरण को लेकर न्यायालय सिविल जज (जुoडिo) नार्थ लखनऊ में मूलवाद संख्या –1348/21 रानी बेगम बनाम जावेद हसन व अन्य मुकदमा चल रहा है जिसमे अभी तक विपक्षी गणों ने जवाब दाखिल नहीं किया है। ये सारी सत्यता बताने के बाद भी इंस्पेक्टर रानी बेगम पर घर छोड़ने का दबाव बना रहे है और विपक्षी पर घर में घुसकर मारपीट किए जाने ,जान से मारने की धमकी और गली गलौज सहित भवन पर अवैध रूप से कब्जा किए जाने के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रहे हैं।
पुलिस का काम कानून व्यवस्था को बरकरार रखने का है न कि खुद अदालत बनकर गलत फैसला करने का। सूत्रों के अनुसार इस मामले में पहले से ही धारा -145 लागू है और आदेश में प्रभारी निरीक्षक चौक को निर्देशित भी किया गया है की इस मामले में शांति व्यवस्था के मद्दे नजर सतर्क दृष्टि बनाए रहें। मगर प्रभारी निरीक्षक स्वय शांति भंग करवाकर भवन पर कब्जा करवा रहे थे। न्यायालय सिविल जज की बात की जाए तो उसने
प्रतवादीगण को दिनांक 6 सितम्बर 2021 को अदालत ने सम्मन जारी कर कहा था कि इस मामले में अपना जवाब दाखिल करें लेकिन अभी तक अदालत में जवाब दाखिल न करते हुए विपक्षी जबरन 80 वर्षीय रानी बेगम के भवन पर कब्जा करना चाह रहे हैं।

हिटलर की मानसिकता रखते हैं इंस्पेक्टर चौक

इस पूरे मामले पर अगर नजर डाली जाए तो ये कहना गलत न होगा कि इंस्पेक्टर चौक की मानसिकता हिटलर जैसी प्रतीत हो रही है। क्योंकि वो खुद को ही न्यायधीश मानते हैं और खुद को ही डीजीपी समझते हैं। जाहिर है जब किसी पुलिस अधिकारी में ये मानसिकता पैदा हो जाए तो वो किसकी सुनेगा ? कैसे न्याय करेगा ?
पीड़िता के मुताबिक एक उच्चधिकारी ने इस पूरे मामले को समझने के बाद एफआईआर दर्ज करने के लिए इंस्पेक्टर चौक को कई बार फोन किया और पीड़िता को भेजा लेकिन इंस्पेक्टर ने पीड़िता को कई घंटे बाहर खड़े रहने बाद कहा की जाओ अब किसी और का सोर्स लगवाओ लेकिन मैं एफआईआर दर्ज नहीं करूंगा। इंस्पेक्टर का पीड़ितों के विरुद्ध ये रवईया बताता है कि दबंगों से उनका कैसा तालमेल है। जब पीड़िता के साथ हुए इस अन्याय की जानकारी पत्रकारों को हुई और पत्रकारों ने इंस्पेक्टर को फोन कर मामले की जानकारी मांगी तो इन्स्पेक्टर ने ऐसी किसी भी घटना घटित होने से साफ इंकार कर दिया जबकि दोनों पक्षों के विरूद्ध १०७/११६ स्वय इंस्पेक्टर करवा चुके थे। पीड़िता की मानें तो दबंगों द्वारा उनके साथ नाइंसाफी की जा रही थी,घर की दीवार तोड़ी जा रही थी और पुलिस के आ जाने के बाद भी ताला तोड़ा जा रहा था । इसको देखते हुए पुलिस को विपक्षी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करना चाहिए थी न कि उल्टे हम पर मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए था । पीड़िता का कहना है की आखिर ये कहां का इंसाफ है ? पीड़िता रानी बेगम का कहना हैं कि कोई मेरी फरियाद सुने या नहीं लेकिन प्रदेश के मुखिया योगी आदित्य नाथ उनकी जरूर सुनेंगे और उन्हें न्याय मिलेगा। इस तरह के तानाशाह इंस्पेक्टर अगर योगी आदित्यनाथ जी के शासन में दो चार और हो गए तो जंगल राज्य स्थापित होने में अधिक समय नहीं लगेगा।

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