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आज़ादी में सभी समुदाय की थी विशेष भूमिका, देश सबका है न की सरकार का : राष्ट्रपति

लखनऊ (सवांददाता) यह भारत देश हम सबका है न कि सिर्फ सरकार का ? एकजुट होकर ही हम अपने देश को आगे ले जा सकते हैं। बुधवार को हमारी आज़ादी के 71 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर हम अपनी स्वाधीनता की वर्षगांठ मनाएंगे। ये कहना है भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का| उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए एकजुटता और अहिंसा का संदेश दिया। उन्होंने इसके साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जरिए अहिंसा का संदेश भी दिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति कोविंद ने देशवासियों को बधाई दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि 15 अगस्त का दिन प्रत्येक भारतीय के लिए पवित्र होता है। हमारा ‘तिरंगा’हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है। इस दिन हम देश की संप्रभुता का उत्सव मनाते हैं और अपने उन पूर्वजों के योगदान को कृतज्ञता से याद करते हैं, जिनके प्रयासों से हमने बहुत कुछ हासिल किया है

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि ‘आज़ादी हमारे पूर्वजों और स्वाधीनता सेनानियों के वर्षों के त्याग और वीरता का परिणाम थी। स्वाधीनता संग्राम में संघर्ष करने वाले सभी वीर और वीरांगनाएं, असाधारण रूप से साहसी और दूर-द्रष्टा थे। इस संग्राम में देश के सभी क्षेत्रों, वर्गों और समुदायों के लोग शामिल थे’

महिलाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा,’ महिलाओं की हमारे समाज में एक विशेष भूमिका है। कई मायनों में महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है’। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस दौरान कहा कि हमें ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में नहीं उलझना है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘हमें गांधीजी के विचारों की गहराई को समझने का प्रयास करना होगा। उन्हें राजनीति और स्वाधीनता की सीमित परिभाषाएं, मंजूर नहीं थीं। गांधी जी ’स्वदेशी’ पर बहुत ज़ोर दिया करते थे। उनके लिए यह भारतीय प्रतिभा और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने का प्रभावी माध्यम था।’ इसके आगे उन्होंने कहा, ‘गांधी जी ने हमें अंहिसा का अमोघ अस्त्र प्रदान किया है।’

भारत में एक जुटता पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह देश हम सबका है, सिर्फ सरकार का नहीं। उन्होंने कहा कि एकजुट होकर, हम ‘भारत के लोग’ अपने देश के हर नागरिक की सहायता कर सकते हैं। एकजुट होकर, हम अपने वनों और प्राकृतिक धरोहरों का संरक्षण कर सकते हैं, हम अपने ग्रामीण और शहरी पर्यावास को नया जीवन दे सकते हैं। हम सब ग़रीबी, अशिक्षा और असमानता को दूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर ये सभी काम कर सकते हैं। हालांकि इसमें सरकार की प्रमुख भूमिका होती है|

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