लखनऊ,संवाददाता। किसी समय समाजवादी पार्टी में एक छत्र राज्य करने वाले मोहम्मद आज़म खान की पहचान उनके कठोर स्वभाव और ज़हरीले बयानात से हुआ करती थी। लेकिन जेल से रिहाई के बाद पत्रकारों से दूरी बनाए रखना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि उनको शायद अभी भी अपनी ज़बान पर क़ाबू नहीं है और या फिर वो कोई आपत्तिजनक बयान देकर किसी और मामले में उलझना नहीं चाह रहे हैं। शायद यही कारण है कि वो पत्रकारों से दूरी बनाकर अपने घर में ही रहना उचित समझ रहे हैं। अपने जिद्दी स्वभाव से अपनी शिनाख़्त बनाने वाले आज़म खान ने आज लखनऊ में बुलाई गई सपा विधानमंडल की बैठक में शामिल न होकर ये अभास करा दिया है कि उन्होंने सपा से दूरी बनाना शुरू कर दी है।
सुबह से मीडिया ये उम्मीद लगाए हुई थी कि आज़म खान और उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आज़म सपा विधानमंडल की बैठक में शामिल होने के लिए आएंगे लेकिन वो अपने घर के भीतर ही रहे । जबकि घर के बाहर मीडिया का जमावड़ा लगा रहा लेकिन दोनों पिता पुत्र मीडिया से मुख़ातिब नहीं हुए।
जेल से 27 महीने बाद रिहा होने के बाद रामपुर लौटे समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच दूरी बढ़ती हुई नजर आ रही है। आजम खान ने रविवार को लखनऊ में बुलाई गई सपा विधानमंडल की बैठक से दूरी बनाकर अखिलेश को ये संदेश दे दिया है कि वो उनसे किस हद तक नाराज़ हैं।
सोमवार से राज्य के विधानसभा सत्र से पहले हो रही सपा विधायकों की इस बैठक को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अखिलेश यादव से आजम की इस दूरी को लेकर सियासी गलियारे में चर्चाएं तेज हो गई हैं।
यही नहीं आजम खान के जेल में बंद रहने के दौरान उनकी अखिलेश यादव द्वारा कोई भी सहायता नहीं करने जैसी बाते भी लोगों की ज़बाँ तक आने लगी हैं। बता देें कि इससे पहले हुई सपा विधानमंडल दल की बैठक में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रमुख शिवपाल सिंह यादव भी नहीं गए थे। अब आजम खान भी उन्हीं के रास्ते पर चलते नज़र आए हैं। जेल से बाहर आने के बाद आजम खान ने कहा था कि लंबे समय जेल में रहा हूँ। राजनीतिक माहौल में पीछे क्या हुआ,यह नहीं पता। हो सकता है कि समाजवादी पार्टी के लिए कुछ मजबूरियां होंगी, लेकिन उसका कोई शिकवा नहीं है। हम भी सोचेंगे कि हमारी नीयत, वफादारी और मेहनत में कहां कमी रही, जो हम घृणा के पात्र बने। वैसे यह पहली बार नहीं है, जब आजम खान ने सपाइयों से दूरी बनाई है। इससे पहले जब सपा के वरिष्ठ विधायक रविदास मेहरोत्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल उनसे जेल में मुलाकात करने पहुंचा था तो उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया था।